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तमिलनाडमें खादीकार्य

जहाँतक गाँवोंमें जाकर काम करनेका सवाल है, मेरे कई सहकर्मी गाँवों में पहले ही से काम कर रहे हैं। मगर मैं कबूल करता हूँ कि यह मुश्किल काम है। में यह भी मानता हूँ कि केवल इच्छा करनेसे ही हरएकके लिए गाँवोंमें जाकर बस जाना सम्भव नहीं है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २५-११-१९२६

७८. तमिलनाडमें खादीकार्य

नीचे तमिलनाडके खादी कार्यका साल-भरका विवरण दिया जा रहा है:[१] विवरण सावधानीके साथ लिखा गया है। आशा है पाठकगण इसे रुचि पूर्वक पढ़ेंगे। इससे पता चलता है कि वहाँ खादीके सभी विभागोंमें, धीमी गतिसे ही सही, उन्नति निश्चित रूपसे हो रही है। खादीके दाम २५ प्रतिशत घटे हैं, यह एक बड़ी उपलब्धि है; किन्तु दामोंमें यह कमी कुछ हदतक कपासके भाव गिर जानेके कारण हुई है। खादीकी किस्ममें भी काफी सुधार हुआ है। खपतसे सम्बन्धित एक खूबी यह है कि जितनी खादी तैयार होती है उसका तीन-चौथाई हिस्सा वहींका-वहीं बिक जाता है। शुरू-शुरूमें यह बात नहीं थी। इस शुभ परिणामका मुख्य कारण खादीकी फेरी-योजना ही है। इस रिपोर्टमें सरकारके उस अज्ञानपूर्ण और असाधारण प्रस्तावकी ओर भी ध्यान खींचा गया है जिसके द्वारा उन स्कूलोंमें चरखा चलानेकी मनाही की गई है जहाँ कताईके साथ ही बुनाईकी शिक्षा भी न दी जाती हो। इससे कताई-शिक्षा लागू करना लगभग असम्भव ही हो जाता है। इस प्रस्तावको रखनेवालेके अज्ञानकी तुलना उस प्रख्यात अर्थशास्त्रीसे की जा सकती है जो मानता है कि उसने हाथकताईको नेस्तनाबूद कर दिया है, मगर जो बराबर हाथबुनाईको ही हाथकताई समझता आ रहा है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया २५-११-१९२६
  1. विवरण यहाँ नहीं दिया जा रहा है। इसमें अक्तूबर, १९२५ से सितम्बर १९२६ तक तमिलनाडके १३ जिलोंमें ६४ खादी संगठनों द्वारा किये गये कार्यका ब्योरा दिया गया था।