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८४. पत्र : लीलावतीको

कार्तिक कृष्ण ६, १९८३ [ २५ नवम्बर, १९२६]

चि० लीलावती,

राम नामसे बड़के कोई अच्छा मंत्र नहि है। चखसे बड़कर कोई अच्छा यज्ञ इस युग में इस देशमें नहि है।

मोहनदास

मूल पत्र ( जी० एन० ६२७७ ) की फोटो - नकलसे।

८५. तार : खगरिया कांग्रेस कमेटीके अध्यक्षको[१]

[साबरमती]
२६ नवम्बर, १९२६ या उसके पश्चात् ]

चुनावों में दखल नहीं दे रहा हूँ। सारी जिम्मेदारी स्वराज्यवादियोंको सौंप दी है।

गांधी

अंग्रेजी मसविदे (सी० डब्ल्यू० ४९६४) से।

सौजन्य : परशुराम मेहरोत्रा

  1. यह तार २६ नवम्बर, १९२६ को साबरमती में प्राप्त हुए तारके जवाब में भेजा गया था। अध्यक्ष महोदपने अपने तारमें गांधीजीसे कहा था कि यहाँ आपके कहे जानेवाले इस आशयके तारकी छपी प्रतियाँ प्रकाशित की गई हैं कि कांग्रेसियोंको अपना मत देना गुनाह है। कौंसिल के मतदाता इससे उलझन में पढ़े हुए हैं।