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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लगे कि मुझे कुछ भी नहीं करना है — मैं तो ईश्वरके पास पहुँच गया हूँ तो ऐसा आदमी कर्म-संन्यास कर सकता है। जिसके पास राज दरबारमें जानेका परवाना है, उसे क्या चिन्ता? जहाँ प्रजा ही यह बात समझ जाये कि राजाकी अमुक इच्छा है और उस प्रकार काम करती चलती जाये तो राजाको क्या करना शेष बच रहता है। ऐसी अवस्थामें यदि वह शासन करने निकले तो यह अवश्य ही प्रजाके लिए आश्चर्यकी बात होगी। आज तो मुझे बीच-बीचमें कहना पड़ता कि ऊँघो मत, ध्यान- से सुनो इत्यादि। किन्तु एक दिन ऐसा आयेगा जब मुझे कहना ही नहीं पड़ेगा, क्योंकि तुम सब व्यवस्थित रूपसे काम करनेवाले बन जाओगे। इसलिए फिलहाल मेरा ध्यान दो आदि कहना ठीक है और भविष्यमें कुछ न कहना और चुपचाप होकर बैठ जाना भी ठीक होगा।

किन्तु अर्जुनके मुँहसे अभीतक ऐसे शब्द नहीं निकले हैं कि मैं सब समझ गया हूँ; इसलिए वही वस्तु भगवानको उससे छठवें अध्यायमें भी कहनी पड़ रही है:

अनाश्रितः कर्मफलं कार्य कर्म करोति यः।
स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः॥(६,१)

क्योंकि हम जानते हैं कि ईश्वर यज्ञ और तपका भोक्ता है इसलिए जो व्यक्ति कर्मके फलकी आशा किये बिना अपने सारे कर्मोंको ईश्वरके संरक्षणमें सौंप देता है और फिर भी कर्म करता रहता है, वह संन्यासी भी है और योगी भी। किन्तु जो व्यक्ति कभी भूलकर भी अग्नि प्रज्वलित नहीं करता (असल में यज्ञ करनेकी दृष्टिसे अग्निको सतत प्रज्वलित रखना परोपकारकी ही क्रिया थी) या जो व्यक्ति अक्रिय हो गया है, वह न संन्यासी है और न योगी ही है। ऐसा व्यक्ति तो आलसियोंका सरदार है।

यं संन्यासमिति प्राहुर्योगं तं विद्धि पाण्डव।
न ह्यसंन्यस्तसंकल्पो योगी भवति कश्चन।।(६,२)

जिसे महान् पुरुषोंने संन्यास कहा है, तू उसे ऐसा जान कि वही योग है। रणसे भाग जाना तेरे लिए संन्यास नहीं है बल्कि तेरे लिए तो रणमें जूझना ही संन्यास है। यज्ञका भोक्ता तो मैं हूँ। क्योंकि जिस व्यक्तिने संकल्पका त्याग नहीं किया है, वह मनुष्य कदापि योगी नहीं हो सकता। संन्यास कोई बाहरकी वस्तु नहीं है। वह एक आभ्यन्तर वस्तु है। संकल्प-विकल्प समाप्त होने चाहिए, तभी संन्यासी हुआ जा सकता है।

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शनिवार, ३ जुलाई, १९२६

आरुरुक्षोर्मुनेर्योगं कर्म कारणमुच्यते।
योगारूढस्य तस्यैव शमः कारणमुच्यते॥(६,३)

जो मुनि योग प्राप्त करनेकी इच्छा करता है उसके लिए कर्म ही साधन। क्योंकि योगकी व्याख्या 'योगः कर्मसु कौशलम्' की गई है। कर्मके ऐरनपर व्यक्ति