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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

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शनिवार, १७ जुलाई, १९२६
 

इसके उत्तरमें भगवान कृष्णने प्रतिज्ञा की है कि :

पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते ।

न हि कल्याणकृत्कश्चिद् दुर्गति तात गच्छति ॥ (६,४०)

हे अर्जुन, ऐसे व्यक्तिका इस लोक या परलोकमें विनाश नहीं होता, क्योंकि अल्प प्रयत्न करनेवाले अयतिका नाश कदापि सम्भव नहीं है। कल्याणकारी प्रवृत्ति करनेवालेकी कभी दुर्गति नहीं होती। यह बात कहकर श्रीकृष्णने सारी दुनियाको यह आश्वासन दे दिया है कि जो मुझे पानेकी इच्छा करता है और उसके लिए जो प्रयत्न करता है, उसे मैं सुप्रयत्न करनेवाला कहता हूँ । कार्य-मात्रका फल तो है ही। उस अवस्थामें विशिष्ट रूपसे भगवानको पानेका काम निष्फल जा सकता। ऐसे व्यक्तिकी दुर्गति नहीं, ऊर्ध्वगति होती है। व्यक्तिमें श्रद्धा है तो फिर प्रयत्न बलवान न होनेसे भी क्या होता है। किसी भी अवस्थामें उसकी गिनती ईश्वरके सैनिकोंकी टुकड़ीमें ही होती है।

प्राप्य पुण्यकृतां लोकानुषित्वा शाश्वतीः समाः ।

शुचीनां श्रीमतां गेहे योगभ्रष्टोऽभिजायते ॥ (६,४१)

ऐसा व्यक्ति पुण्यलोक प्राप्त करके तथा वहाँ दीर्घकालतक रहकर पवित्र और श्रीमान् व्यक्तिके यहाँ जन्म लेता है। यहाँ श्रीमान्‌का अर्थ धनवान न होकर ऐसा व्यक्ति है, जिसपर ईश्वरका अनुग्रह हो । क्योंकि धनवानके यहाँ जन्म लेकर तो योगा- भ्यास करना अथवा रामनाम लेना एक कठिन बात है। जिसके यहाँ लक्ष्मी है विष्णुकी लक्ष्मीपतिकी भाँति कल्पना की गई है सो क्या इसलिए की गई है कि उनके यहाँ पैसेकी कोई टकसाल है। नहीं। लक्ष्मीका अर्थ है भक्ति । अगस्त्य ऋषि श्रीमान् कहे गये, क्योंकि उन्होंने शिवजीसे भक्तिका वरदान प्राप्त किया था। श्रीकृष्ण तो विदुरका शाक खानेवाले थे। योगभ्रष्टका जन्म इस तरहके श्रीमान्‌के घर होता है। श्रद्धावान् अयतिका जन्म भक्तोंके कुलमें होता है ।

अथवा योगिनामेव कुले भवति धीमताम् ।

एतद्धि दुर्लभतरं लोके जन्म यदीदृशम् ॥ (६, ४२)

अथवा फिर उसका जन्म किसी बुद्धिशाली योगीके कुलमें होता है। ऐसे योगी- के यहाँ जन्म लेनेके कारण ही उसे समबुद्धिका शिक्षण प्राप्त हो जाता है। वहाँ नित्य भक्ति होती रहती है। सुधन्वा और नारदजीका जन्म इसका उदाहरण है।

तत्र तं बुद्धिसंयोगं लभते पौर्वदेहिकम् ।

यतते च ततो भूयः संसिद्धौ कुरुनन्दन

मैंने तुमसे साम्यबुद्धिकी बात की। उसका उसे वहाँ संयोग प्राप्त होता है। उसे पिछले जन्ममें जो बुद्धि प्राप्त नहीं हुई थी, वह इस जन्ममें प्राप्त हो जाती है; उसे पिछले जन्मका स्मरण हो अथवा नहीं ।