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गीता-शिक्षण'

हैं। ऐसी अवस्थामें यदि वे ईश्वरके पास जायें, तो ईश्वर अवश्य ही इसे पसन्द करेगा । उक्त चारों प्रकारके भक्त उदार हैं किन्तु ज्ञानी तो मानो मेरा आत्मा है । वह तो स्वयं मैं ही हूँ। जिसने मेरे साथ सन्धि साध ली है, वह उत्तम गतिको प्राप्त हो चुका है।

बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते ।

वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः ॥ (७,१९)

अनेक जन्मोंके अन्तमें ज्ञानी मेरी शरण में आता है। "अनेक जन्मोंके अन्तमें का अर्थ है बहुत प्रयत्न करनेके बाद । ऐसा व्यक्ति केवल जिह्वासे ही नहीं बल्कि हृदयसे सदा [ वासुदेवको ] पुकारता रहता है कि यह जगत् वासुदेव रूप ही है। ऐसा महात्मा दुर्लभ है।


कामस्तस्तैर्हतज्ञानाः प्रपद्यन्तेऽन्यदेवताः ।

तं तं नियममास्थाय प्रकृत्या नियताः स्वया ।। (७, २०)

अनेक प्रकारकी कामनाओंने जिनके ज्ञानका हरण कर लिया है, ऐसे स्वार्थी लोग भूत-प्रेत सिद्ध करनेवाले ओझाओंके फेरमें पड़कर निम्न श्रेणीके देवताओंके पीछे घूमते हैं। उदाहरणके लिए कोई-कोई खोड़ियार माताको चावल अथवा नारियल चढ़ानेकी मनौती करते हैं और इस प्रकार अपनी प्रकृतिके वशीभूत होकर उसका पूजन करते हैं। लाधा महाराजको हम आतं कह सकते हैं। हो सकता है वे ज्ञानी रहे हों। हम उनके मनकी बात नहीं जानते।

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शनिवार, २४, जुलाई, १९२६
 

यो यो यां यां तनुं भक्तः श्रद्धयाचितुमिच्छति ।

तस्य तस्याचलां श्रद्धां तामेव विदधाम्यहम् ॥ ( ७, २१)

जो विभिन्न व्यक्ति विभिन्न देवताओंकी पूजा करनेकी इच्छा रखते हैं उन भक्तोंके मनमें पूजाके प्रति श्रद्धा तो मैं ही उत्पन्न करता हूँ ।

यदि वे ऐसा समझते हों कि वे स्वयं इसमें समर्थ हो सकते हैं तो यह उनका अज्ञान है। उन्हें यह श्रद्धा उन देवताओंकी शक्तिसे प्राप्त नहीं होती। जिस मनुष्यको सीधे राजाके दरबारमें जानेका अधिकार हो, दरबारी उसे क्या दे सकता है। उदाहरणके लिए सुदामा श्रीकृष्णके पास सीधा ही चला गया और उसके बाद समस्त दरबारी उसे दूसरी दृष्टिसे ही देखने लगे। ऐसे व्यक्तिको किसी अन्य देवतापर चावल चढ़ानेकी जरूरत नहीं होती ।

स तया श्रद्धया युक्तस्तस्याराधनमीहते ।

लभते च ततः कामान्मयैव विहितान्हि तान् ॥ ( ७, २२)

ऐसा व्यक्ति श्रद्धालु होकर श्रद्धाके कारण उस [ विशिष्ट देवता ] की आराधना करता है। उसने जो-जो माँगा हो, वह सब भी उसे मिल जाता है। किन्तु यदि स्वतन्त्र और सम्पूर्ण अधिकार रखनेवाले बहुत-से हों तो ईश्वरका अस्तित्व ही न बचे ।