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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

धूमो रात्रिस्तथा कृष्णः षण्मासा दक्षिणायनम् ।

तत्र चान्द्रमसं ज्योतियोंगी प्राप्य निवर्तते ॥ (८, २५)

जहाँ धुआँ हो, रात्रि हो, कृष्णपक्ष हो और दक्षिणायन हो, वहाँ व्यक्तिको चान्द्रमासज्योति प्राप्त होती है और उसके बाद लौटना ही पड़ता है । स्वर्गलोक में रहकर उसका पुण्य क्षीण हो जाता है और वह वापस पृथ्वीपर आता है ।

हम दो अर्थोंमें से जो अर्थ हमें पसन्द हो, वही ले सकते हैं । जिसने पूरा ज्ञान प्राप्त नहीं किया है उसे फिर जन्म लेना पड़ता है अथवा जो व्यक्ति निष्काम वृत्तिसे सदा भगवानका भजन करता रहेगा उसे फिर जन्म नहीं लेना पड़ता । क्योंकि इस तरह उसके कर्मका छेदन हो जायेगा । जो व्यक्ति निष्काम भक्ति करता हुआ जायेगा, उसे फिर जन्म नहीं लेना पड़ेगा ।

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गुरुवार, १२ अगस्त, १९२६
 

कुछ लोग ऊपरके श्लोकोंको क्षेपक मानते हैं किन्तु हम ऐसा नहीं मान सकते, क्योंकि हमारे पास तो 'गीताजी' की जो प्रतियाँ हैं उनमें ये श्लोक । यदि अर्थ विप- रीत ही हो तो हम उसका त्याग कर सकते हैं। यदि वैसा न हो तो उसके अर्थका 'गीता ' के साथ सामंजस्य बैठाना चाहिए। ऐसा ही हमने कल किया । 'काल' शब्दका अर्थ है स्थिति । जिस कालमें 'गीता' लिखी गई, उस कालमें उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुवकी खोज हुई हो चाहे न हुई हो किन्तु यह ठीक है कि उत्तर ध्रुवमें रहनेवालोंका दिन छ: महीनों और रात छः महीनेकी होती है। उत्तरायण प्रकाश और जागृतिका काल है जबकि दक्षिणायन अज्ञानकाल अथवा अज्ञानकी स्थितिका द्योतक है। हम इन दोनों स्थितियोंको निष्काम और सकाम वृत्तियाँ कह सकते हैं ।

आगे कृष्ण भगवान कहते हैं:

शुक्लकृष्णे गती होते जगतः शाश्वते मते ।

एकया त्यनावृत्तिमन्ययावर्तते पुनः ॥ (८,२६)

शुक्ल और कृष्ण - • शाश्वत और नाशवन्त -- ये दोनों गतियाँ इस संसारमें अनादि कालसे चली आती हैं। शुक्ल अर्थात् ज्ञानकी और कृष्ण अर्थात् अप्रकाशकी स्थिति । एक स्थितिमें व्यक्ति आवृत्तिहीनताको प्राप्त करता है और दूसरीमें आवृत्ति शेष बच जाती है ।

नँते सृती पार्थ जानन्योगी मुह्यति कञ्चन ।

तस्मात्सर्वेषु कालेषु योगयुक्तो भवार्जुन ॥ (८, २७)

इन दो मार्गोंको जाननेवाला योगी मोहको प्राप्त नहीं होता। वह समझ जाता हैं कि निष्काम भक्ति श्रेष्ठ भक्ति है । जिसपर हमारी श्रद्धा और भक्ति है उससे माँगते रहने की क्या जरूरत है। जो इस भक्तिका दाता है, उससे माँगनेको बचता ही क्या है। ऐसे भक्तको तो यही जान पड़ेगा कि मुझे कुछ लेना ही नहीं है। उसने