पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 32.pdf/३५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तानहं द्विषतः क्रूरान्संसारेषु नराधमान् ।

क्षिपाम्यजत्रमशुभानासुरीष्वेव योनिषु ॥ (१६, १९)

इस तरह द्वेष करनेवाले इन क्रूर नराधमों तथा अशुभोंको मैं निरन्तर आसुरी योनियोंमें डालता रहता हूँ ।

आसुरीं योनिमापन्ना मूढा जन्मनि जन्मनि ।

मामप्राप्यैव कौन्तेय ततो यान्त्यधमां गतिम् ।। (१६, २०)

ये मूढ़ मनुष्य जन्म-जन्ममें आसुरी योनिको प्राप्त होकर मुझे प्राप्त किये बिना अधम गतिको प्राप्त होते हैं ।

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः ।

{{|काम: क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत् ।। (१६, २१)}}

आत्माका नाश करनेवाला नरकका द्वार त्रिविध अर्थात् काम, क्रोध और लोभसे युक्त है, इसलिए इन तीनोंका त्याग कर देना चाहिए ।

इनको त्याग कर देनेवाला व्यक्ति प्रेयका आचरण नहीं करता, बल्कि श्रेयका आचरण करता है। काम, क्रोध और लोभ प्रेयकी तरफ खींचते हैं ।

एतैविमुक्तः कौन्तेय तमोद्वारैस्त्रिभिर्नरः ।

आचरत्यात्मनः श्रेयस्ततो याति परां गतिम् ॥ (१६, २२)

तमके इन तीनों द्वारोंसे विमुक्त व्यक्ति ही अपने श्रेयका आचरण करता हुआ परा गतिको प्राप्त होता है ।

यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः ।

नस सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम् ॥ (१६, २३)

जो व्यक्ति शास्त्र-विधिका त्याग करके कामेच्छाका अनुसरण करता है, उसे न तो सिद्धि मिलती है, न मोक्ष मिलता है और न सुख मिलता है ।

तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ ।

ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि ।। (१६, २४)

इसलिए कार्य और अकार्यका निश्चय करनेमें शास्त्र ही प्रमाण हैं, ऐसा मानकर शास्त्र द्वारा निश्चित विधिको जानकर कर्म करना योग्य है।

इस सन्दर्भमें हमें ऐसा कहना चाहिए कि हमारे भीतरसे जो आवाज उठती है, हम उसका अनुसरण करेंगे। किन्तु ऐसा तो रावण भी कहेगा कि मैंने अपनी अन्तर्ध्वनिका अनुसरण किया। ऐसा कहनेका अधिकार उसी व्यक्तिको है जिसका चित्त शास्त्रज्ञानसे संस्कारी बन गया है। प्रश्न है कि शास्त्र किसे कहें। 'वेद', 'उपनिषद्' इतिहास, पुराण इत्यादि सभी शास्त्र हैं, किन्तु इनमें अनेक बातें एक-दूसरेकी विरोधी मिलती हैं। शास्त्र शब्द 'शास्' धातुसे निष्पन्न हुआ है। एक सज्जन कहते हैं : 'गीता' का उपदेश है 'जैसेके प्रति तैसा' और वे अपने इस कथनके समर्थनमें शेख सादीका