पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 32.pdf/३९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३७१
पत्र : रिचर्ड बी० ग्रेगको

जिसकी रक्षा करनी है वह प्रतिपाल्य नहीं है, वरन् एक सर्वथा अजनबी व्यक्ति है, जिसने संरक्षण माँगा है। 'महाभारत' में एक बहुत सुन्दर कथा है। एक महान् राजाके पास कबूतर बाजसे रक्षाके लिए उड़कर आता है। बाजको लगता है कि न्यायदृष्टिसे कबूतर उसका भोजन है ईश्वरने उसे उसका भोज्य ही बनाया है। राजाने उस बाजको यह कहकर रोका कि यद्यपि सामान्यतया कबूतर बाजका विहित भोजन है, फिर भी वह स्वयं तो उन प्राणियोंकी रक्षा करनेके अपने कर्त्तव्यकी उपेक्षा नहीं कर सकता जो उससे संरक्षण माँगते हैं। यह कहकर उसने उदारता- पूर्वक बाजको कबूतरके बदलेमें अपना मांस दे दिया। निश्चय ही इस कहानी के बाजके साथ निपटनेका सर्वाधिक आध्यात्मिक तरीका यही माना जायेगा। लेकिन जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक दुर्बलताके कारण यह तरीका न अपना सके तो उसे संरक्षण के नियमका पालन बाजके हमलेको बलपूर्वक रोककर करना होगा । और यह कार्य वह अहिंसाके नियमानुसार करेगा। मैं नहीं जानता कि मैं अपनी बात साफ समझा पाया हूँ या नहीं ।

मैं देख रहा हूँ कि तुम सर्दी बिताने साबरमती नहीं आ रहे हो। मुझे इसका दो कारणोंसे खेद है। एक तो इसलिए कि यद्यपि में बाहर होऊँगा, फिर भी आश्रम- वासी तुम्हारी अनुपस्थिति महसूस करेंगे। दूसरे इसलिए कि तुम आश्रमके जलवायुके डरसे ही विचलित हो रहे हो। हम आहारशास्त्रियोंको ऐसे उपाय ढूंढ़. निकालने चाहिए कि जलवायु हमपर हावी न हो पाये बल्कि जलवायुको अपनी इच्छानुसार हम काबू में कर सकें। खैर, मैं जानता हूँ कि यह तो एक आदर्श बात है। तुम जो कदम उठा रहे हो, वह सावधानीका है और इसलिए मौजूदा परिस्थितिमें वही अच्छा है। ऊपरकी सलाहको बिना जोखिम उठाये नहीं माना जा सकता। शिक्षाकी दिशामें तुम्हारे अनुसन्धानोंका में काफी दिलचस्पीसे अध्ययन करूंगा। देवदास काफी अच्छा और सशक्त है। वह मथुरादासकी सेवा-परिचर्या करने पंचगनी गया है। मैं २ दिसम्बरको वर्धाके लिए रवाना हो रहा हूँ। तुम्हें, स्टोक दम्पतिको, सुन्दरम्को और सावित्रीको प्यार।

तुम्हारा,

आर० बी० ग्रेग

शिमला

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १२०८८) की फोटो-नकलसे ।

१. राजा शिवि।