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८९. क्या यह जीवदया है ?-८जेजेडएज

इस विषयपर पत्र तो अभी भी ढेरों चले आ रहे हैं, लेकिन इनमें एक भी नई दलील अथवा विचार देखनेको नहीं मिलता; वही पुराने प्रश्न पूछे जाते हैं और वही पुरानी दलीलें पेश की जाती हैं। अतः जो लोग इस प्रश्नपर विचार कर रहे हैं, उनसे मेरी प्रार्थना है कि वे इस लेखमालाको बार-बार पढ़ें। यह सुझाव देते हुए मुझे तनिक भी संकोच नहीं होता, क्योंकि इसमें मैंने उतावलीमें किये गये विचार नहीं, अपितु अपने अनेक वर्षों के अनुभव दिये हैं। मैंने उसमें कोई नये सिद्धान्त पेश नहीं किये हैं, पुराने सिद्धान्तोंको ही स्पष्ट करनेका प्रयत्न किया है। वे स्पष्ट हुए हों अथवा नहीं, वे मेरे प्रामाणिक विचार हैं इसलिए, और अनेक बहन-भाई मुझसे अहिंसाके गूढ़ प्रश्नके समाधानकी आशा रखते हैं इसलिए- -- मैं इन भाई-बहनोंसे इस लेखमालाको बार-बार पढ़ जानेका सुझाव देता हूँ । अनेक पत्र लेखक मेरे अचूरे वाक्योंको उद्धृत करते हैं और उनसे उत्पन्न समस्याओंका समाधान माँगते हैं। एक भाई कहते हैं, 'आप तो कुत्तोंका वंश ही मिटाना चाहते हैं।' मैंने ऐसा कभी नहीं कहा। मैंने जो कहा है सो उस जातिकी रक्षाके हेतुसे ही कहा है। मैंने तो इतना ही कहा है कि अमुक कुत्तोंको अमुक परिस्थितियों में मारा जा सकता है। इतना कहने में भी यदि दोष हो तो अलग बात है। लेकिन लेखकको अपनी दलील तो इस बातको ध्यान में रखकर ही पेश करनी चाहिए कि मेरे कथनमें कुत्तोंके मर्यादित बधकी सूचना है, उससे अधिक कुछ नहीं ।

कुछेक भाई मेरे पहलेके उन कथनोंको, जो उन्हें प्रिय हैं, उद्धृत करते हैं और मेरे आजके विचारोंसे उनका विरोध बताते हैं। मुझे ऐसा विरोध नहीं दिखता। अहिंसाका जैसा पक्षपाती मैं पहले था वैसा ही आज भी हूँ ।

'पुष्प पांखड़ी ज्यां दुभाय

जिनवरनी नहि त्यां आज्ञाय । '

[फूलकी पंखुरीको भी जिसमें कष्ट होता हो, ऐसी बातमें जिनवरकी अनुमति नहीं हो सकती । ]

इन पंक्तियोंको में अभी भी पहलेके-से भक्तिभावके साथ गा सकता हूँ, लेकिन जैसे मैं पहले वनस्पतिका, पुष्पों और फलोंका उपयोग किया करता था, वैसे ही आज भी करता हूँ। हाँ, इस उपयोगके पीछे यह भावना निहित है कि बादमें मुझसे जितना हो सकेगा इनका उपयोग उतना कम करूँगा और देहाध्यासको क्षीण करूँगा ।

लेकिन कोई कह सकता है कि 'पुष्प और कुत्तोंकी क्या तुलना ? ' इस आक्षेपको मैं चुपचाप सह लेता हूँ । किन्तु यह तुलना प्रसंगवश की जा सकती है। भोगके लिए की जाये तो यह अधोगतिको पहुँचायेगी; धर्मको समझने अथवा समझाने- के लिए की जाये तो वह उचित हो सकती है । तुलना करनेका मेरा उद्देश्य निर्मल है, इसलिए मैं सुरक्षित हूँ ।