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जीवन-चक्र

आनन्द हुआ। इसका अर्थ यह नहीं कि मैं यह सारी चीज समझ सकता हूँ। इस विषयके मेरे अज्ञानका आपको अन्दाजा भी नहीं हो सकता । गोल्ड एक्सचेन्ज स्टैंडर्ड, बुलियन स्टैंडर्ड और एक्सचेंज स्टैंडर्डका भेद अभीतक मुझे स्पष्ट नहीं हुआ है। फिलहाल मदानकी पुस्तक पढ़ रहा हूँ। मैं अपनी राय देनेके लिए कबतक तैयार हो जाऊँगा सो नहीं जानता । [ लेकिन ] अपना अज्ञान प्रकट करनेके लिए तैयार हो रहा हूँ; इस बीच में दूरसे आपकी लड़ाई निहार रहा हूँ और उसकी प्रशंसा कर रहा हूँ ।

मोहनदासके वन्देमातरम्
 

गुजराती पत्र (एस० एन० १९९७०) की माइक्रोफिल्मसे ।

९३. अबलाका बल

जनरल स्मट्सने एमिली हॉवहाउसके अन्तिम संस्कारके समय ब्लूमफॉन्टीनमें जो शब्द कहे थे, उसे महान् भाषण कहकर यहाँ देते हुए मुझे किसी प्रकारका संकोच नहीं है । उस भाषण से यह स्पष्ट था कि एक चारित्र्यवान् व्यक्ति, एक स्त्री, जिसे भूलसे अबला कहते हैं, क्या कर सकती है और सच्ची देशभक्तिका क्या अर्थ होता है ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २-१२-१९२६

९४. जीवन-चक्र

इस लेखका' यह शीर्षक मैंने दिया है किन्तु लेख श्रीयुत चक्रवर्ती राजगोपाला- चारीकी शाही कृषि आयोग के सामने दी गई गवाहीका सारांश है । इसका महत्त्व इसी बात है कि यह उनके अनुभवोंका सम्यक् विवरण है। इसे एक बार ध्यान देकर पढ़ लेनेपर पाठक अपने-आप ही समझ सकेंगे कि हिन्दुस्तानके करोड़ों लोगोंके लिए चरखा सचमुच जीवन-चक्र है या नहीं। चक्रवर्ती राजगोपालाचारीकी दूसरी यह सलाह कि गरीब लोगोंके सामने से शराब पीनेकी सुविधा हटा ली जानी चाहिए, उन सभी लोगोंके लिए विचारणीय है जो हिन्दुस्तानकी आर्थिक दुर्दशाकी समस्याको हल

१. यहाँ नहीं दिया गया है।

२. यहाँ नहीं दिया गया है। इसमें कहा गया था कि थोडेसे समय में ही अकेले तमिलनाडमें ३०,००० चरखे चलने लगे हैं और हर चरखेकी औसत वार्षिक आय १४ रु० ९ आना ८ पाई हो रही है। कई किसान परिवारोंकी कृषिसे होनेवाली आय ५० रु० प्रतिवर्ष ही है, यह देखते हुए इसे एक अच्छी आप ही कहा जायेगा ।

३. माविस ऑफ लिनलिथगोके नेतृत्व में गठित इस आयोगको घोषणा वाइसरायने २० जनवरी, १९२६को की थी। १९२६-२७ के शीतकालमें इसकी बैठक हुई थी।