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सभ्यता

और यदि बिलकुल ही अरुचिकर लगता है तो उठकर चले जाते हैं। लेकिन भाषण- कर्ता भाषण बंद कर दे, इसके लिए जोर-जबरदस्ती नहीं करते। हल्ला-गुल्ला करना बलात्कार ही कहा जायेगा । हममें असहिष्णुता बढ़े, यह बात हमारी प्रगतिको रोकने- वाली है। जो चीज हमें पसन्द न हो वह खराब ही होगी, ऐसा मान लेनेका हमारे पास कोई कारण नहीं है। संसारमें अनेक वस्तुएँ तो ऐसी ही होती हैं जो आरम्भमें कड़वी लगती हैं परन्तु जिनका परिणाम मीठा होता है ।

जिस राष्ट्रका युवक वर्ग मर्यादा, विवेक, नम्रता और सहिष्णुताका त्याग करता है, वह राष्ट्र नष्ट हो जाता है। राष्ट्रीय जीवनकी बागडोर तो युवक वर्गके हाथमें ही होती है। उनकी जवाबदेही वृद्ध वर्गकी अपेक्षा ज्यादा है। क्योंकि बुजुर्गोंने तो वे जितना दे सकते थे अथवा देना चाहते थे उतना दे दिया। युवक वर्ग तो आज नया निर्माण कर रहा है, अपना नया दान दे रहा है।

हल्ला-गुल्ला करनेवाले अपनी इस जवाबदेहीमें चूक गये। महादेव देसाईका भाषण तो उनके हाथ दे रहे थे । अतः वह आँखोंसे सुना जा सकता था। युवक हाथोंसे दिये जानेवाले उस भाषणको रोकने में असमर्थ थे। जब उन्होंने अपनी इस असमर्थता- को देखा तब उन्होंने शोरगुल मचाना बन्द कर दिया, लेकिन उन्होंने ऐसा करके अपयश तो मोल ले ही लिया। दूसरे दिन अखबारोंने लिखा कि युवकोंने शोरगुल करके महादेवभाईको तकलीपर व्याख्यान देने से रोका। इसमें महादेव देसाईकी मानहानि नहीं हुई। इससे तो शोर मचानेवालोंकी इज्जत गई। लेकिन उनकी लाज गई यह बात देशकी लाज जानेके बराबर है। देशकी लाज उसके देशवासियोंकी लाजसे अलग नहीं है ।

तकलीके प्रति अरुचि व्यक्त करना तो चींटीपर सेना लेकर चढ़ाई करने के समान है। तकली मनुष्यके प्राचीनतम हथियारोंमें से एक है, इस बातको प्राचीन पुस्तकों- के उद्धरणोंसे 'नवजीवन' में प्रतिपादित किया जा चुका है। तकली गरीब लोगोंका यन्त्र है, उनका आश्रय है। जिस प्रकार हल अन्नका साधन है उस प्रकार तकली वस्त्रका साधन है। तकलीसे ही मिलोंकी उत्पत्ति हुई है। स्पिनिंग मिल अर्थात् तकली मिल। जिस तरह एक मनुष्य दूसरे घरोंके पाइपको बन्द कर उन्हें अपने घरमें इकट्ठा कर ले तो वह अन्य सब लोगोंको पानीके लिए पराधीन कर देगा, उसी तरह स्पिनिंग मिल भी जुदा-जुदा तकलियोंको इकट्ठा कर स्वतन्त्र रूपसे कातनेवाले लोगोंको पराधीन कर देती है। इस तरह तकली स्वतन्त्रताका चिह्न है और मिल परतन्त्रताका । ऐसी लाभकारी वस्तुका तिरस्कार किसलिए? इस छोटी वस्तुकी शक्तिको समझना हमारा धर्म है। और जो व्यक्ति हमें उसकी शक्तिका भान कराता है वह हमारे धन्यवादका पात्र है, हमारे आभारका अधिकारी है।

हलका त्याग करनेपर जिस तरह हम भूखों मर जायेंगे उसी तरह तकलीका त्याग करनेके कारण हम वस्त्रहीन हो गये हैं। मुट्ठी भर लोगोंके पास कपड़े हैं, इससे कोई यह न समझे कि करोड़ों लोगोंके पास कपड़े हैं। इतिहास साक्षी है कि हमारे लाखों भाई-बहन नंगे फिरते हैं और भूखों मरते हैं।