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१०६. पत्र : मणिबहन पटेलको

वर्धा
 
सोमवार [६ दिसम्बर, १९२६ ]
 


चि० मणि,

सब बहनोंके नाम पत्र इसके साथ हैं। अब तुम्हारा । अभीतक तुम्हारी अनि- श्चित स्थिति देखकर मुझे दुःख होता है। मैं नहीं मानता कि तुम्हारे लिए आश्रमसे अधिक अच्छी कोई और जगह हो सकती है। हो सकता है कि आश्रममें भी तुम्हारा जी न लगे। इस स्थितिको दूर करनेका प्रयत्न करो। तुम्हें कब्जकी शिकायत रहती है, पर इसका उपाय तो तुम्हारे हाथमें ही है । अथवा तुम्हें अहमदाबादका पानी मँगाकर पीना चाहिए। जितना आसानीसे पिया जा सके उतना मँगाया जा सकता है। नदीका पानी उबालकर पिओ तो वह भी वही काम देगा। तुम्हें प्रफुल्लित रहनेका दृढ़ निश्चय करना चाहिए । १४ तारीखके बाद यहाँ आनेके विचारपर दृढ़ रहना । यहाँ संस्कृतकी पढ़ाईमें तो मदद मिलेगी ही। हवा तो अनुकूल है ही। मुझे खुले दिलसे जो-कुछ लिखना हो उसे लिखनेमें संकोच न रखना ।

रमणीकलालभाईसे कहना कि पूँजाभाईके स्वास्थ्य के बारेमें कोई समाचार नहीं मिल रहा है। इसलिए चिन्ता रहती है। उनका पता क्या है ? यदि उन्हें उनके स्वास्थ्यके समाचार मिलते हों तो लिखें ।

[ गुजरातीसे ]

बापुना पत्रो : मणिबहेन पटेलने


१०७. पत्र : प्रभाशंकर पट्टणीको

सत्याग्रह आश्रम
 
वर्धा
 
मार्गशीर्ष सुदी १, १९८३ [ ६ दिसम्बर, १९२६ ]
 


सुज्ञ भाईश्री,

आ गये -- बहुत अच्छा हुआ। आपका पत्र वर्धामें मिला । तबीयतके बारेमें आपने कुछ नहीं बताया; लिखिएगा। मुझे मार्चमें तो काठियावाड़' जाना ही है, तब

१. साधन-सूत्रके अनुसार।

२. पूँजाभाई शाह ।

३. काठियावाड़ राजनीतिक परिषद् के अधिवेशनके लिए ।