पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 32.pdf/४१८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३९०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मिलेंगे ही। यदि जल्दी आनेकी बात हुई तो लिखूंगा । इंग्लैंडसे भी आपका एक पत्र मिला था ।

मोहनदासके वन्देमातरम्
 

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ३२१७) की फोटो-नकलसे ।

सौजन्य : महेश पट्टणी

{{C|१०८. पत्र : देवचन्द पारेखको

सोमवार ६ दिसम्बर, १९२६ ]

भाई देवचन्द भाई,

साथका पत्र में तुम्हारी जानकारी और सम्हालकर रखनेके लिए भेज रहा हूँ । मैंने उचित उत्तर लिख भेजा है। मैंने लिखा है कि वे भले ही राजनीतिक विषयपर कुछ न कहें और यह भी लिखा है कि हम उन्हें बार-बार काठियावाड़ आनेके लिए नहीं कहेंगे।

बापू
 

गुजराती पत्र (जी० एन० ५७२२) की फोटो-नकलसे ।

१०९. पत्र : रामदास गांधीको

वर्धा
 
मौनवार [६ दिसम्बर, १९२६ ]
 

चि० रामदास,

तुम्हारा पत्र मिला । जहाँ श्रद्धा और सरलता है वहाँ अन्ततः सफलता अवश्य मिलती है। अब्बास साहबकी सरलताका क्या कहना ! उनमें उतनी ही श्रद्धा भी है, इसीसे परिस्थितियाँ भी अनुकूल मिलती रहती हैं। अब्बास साहबसे कहना कि रेहाना

१. डाककी मुहरमें तारीख ९ दिसम्बर, १९२६ दी गई है; इससे पिछला सोमवार ६ दिसम्बर, १९२६ को था।

२. अमृतलाल ठक्कर, जिन्हें काठियावाड़ राजनीतिक परिषद्को अध्यक्षताके लिए बुलाया गया था, और जिन्होंने, मालूम होता है, अपने पत्र में इस आमन्त्रणको स्वीकार कर सकनेमें अपनी कठिनाइयों को चर्चा की थी।


३. डाककी मुहरसे।

४. अब्बास तैयबजी।


५. अब्बास तैयबजीकी पुत्री ।