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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ऐसे बहुत से लोग हैं जो स्वराज्य संतमेत ले लेना चाहते हैं। टॉमस पेन कहता है कि यह तो एक असम्भव बात है।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ९-१२-१९२६

११५. सर्वभूतहिताय

'यंग इंडिया' के एक नियमित पाठक लिखते हैं :


मैंने उक्त चिट्ठी और खबर इसलिए दी है कि अपनी स्थिति समझानेमें मुझे इनसे मदद मिल सकती है। मैं जानता हूँ कि पत्र-लेखक 'यंग इंडिया' के बड़े ही सावधान पाठक हैं। अगर उन्होंने मेरी बातोंको इतने गलत रूपमें समझा, जो उनके पत्रसे स्पष्ट है, तो कौन जाने कि जब-तब 'यं० इं० ' पढ़नेवालों में से ऐसी भूल कितने अधिक लोग न करते होंगे? हमारे दिलोंमें क्रूरता घर कर गई है, इसलिए हम बल प्रयोगका एक भी मौका हाथसे नहीं जाने देना चाहते; और इसीलिए कई पाठकोंने मेरा ध्यान इस ओर खींचा था कि इससे गलतफहमी पैदा होनेका भय है । आदमी जब किन्हीं नाजुक सवालोंको ले रहा हो तब बहुत अधिक सावधान रहनेके सिवा और क्या कर सकता है। किन्तु अपनी बातोंके बड़ेसे-बड़े दुरुपयोगके भयसे भी परमसत्योंकी खुली और सच्ची चर्चा रोकी नहीं जा सकती। मुझे तो विनीत चर्चा, स्पष्टीकरण और विचार-विनिमयसे ही तत्त्वकी बातका ज्ञान हो पाता है। ऊपरका पत्र तो एक उदाहरण मात्र है। इस चर्चासे पत्र-लेखक और मेरे बीच एक ही सिद्धान्तके स्पष्टीकरणमें सच्चा मतभेद प्रकट हुआ है।

मेरा मत है कि डाक्टर ब्लेजर छूट भले ही गये हों मगर मेरी समझके अनुसार तो उन्होंने अपनी लड़की की जान लेकर भूल की। इससे प्रकट होता है कि उन्हें अपने आसपास रहनेवालोंके मनमें दयाभाव होनेका भरोसा नहीं था। यह मान लेनेका कोई कारण न था कि दूसरे उस लड़कीकी देखभाल न करते। कुत्तोंके मामले में जो स्थिति मैंने समझी वह डाक्टर ब्लेजरकी मनःस्थितिसे बिलकुल ही अलग है। मैं यह भी माननेको तैयार नहीं हूँ कि अविकसित प्राणियोंके आत्मा होती ही नहीं । मेरा विश्वास है कि नीची श्रेणीके प्राणियोंके भी आत्मा होती है ।

१. पत्र यहाँ नहीं दिया गया है। पत्र-लेखकने पत्रके साथ समाचारपत्रोंकी दो कतरनें भेजी थीं। एक खबर में अमेरिका के एक डाक्टर हेरॉल्ड ब्लेज़र द्वारा अपनी अर्द्धविक्षिप्त कन्याको क्लोरोफॉर्म देकर मार डालनेकी बात कही गई थी और बताया गया था कि उसमें मुद्दा केवल यही था कि उनकी मृत्युके बाद बेटीको किसीपर बोझकी तरह न छोड़ा जाये। डाक्टरको अदालतने निरपराध घोषित किया। दूसरी खबर थी एक फ्रांसिसी अभिनेत्री द्वारा अपने प्रेमीकी प्रार्थनापर उसे दर्द से छुटकारा देनेके लिए गोली मार देने की। उसे भी अदालतने निरपराध घोषित किया ।

२. डाक्टर ब्लेजरके छोड़े जानेमें एक तर्क यह भी था कि लड़की मन और बुद्धिसे अविकसित होनेके कारण 'आत्मासे' हीन थी।