पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 32.pdf/४२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



३९६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हितवाद के सिद्धान्तकी कसौटीपर इनमें से किसी भी कामको समुचित सिद्ध नहीं किया जा सकता ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ९-१२-१९२६

११६. टिप्पणियाँ असंगति

मेरा दौरा शुरू हो गया है, और अगर इसे जारी रखना है तो उसके साथ मेरे दुःख भी शुरू हो गये समझिए । लोगोंकी भीड़ दर्शनके लिए आती है। उनकी चमकती आँखों और हँसमुख चेहरोंमें प्रेमकी सच्ची झलक होती है । किन्तु जो बात मैं उनके कानोंमें निरन्तर डालता रहता हूँ, उसके विषयमें वे कुछ भी नहीं करते । जलगाँवमें गत ४ तारीखको लड़कों और लड़कियोंने मुझे अपने हाथके कते सूतकी सुन्दर लच्छियाँ भेंट कीं किन्तु स्वयं वे भी, कुछ प्रशंसनीय अपवादोंको छोड़कर मिलका ही कपड़ा पहिने हुए थे। मुझे नहीं लगता कि वे लड़के-लड़कियाँ अपने सूत कातनेका कारण समझते भी हैं। लड़कियाँ म्युनिसिपल स्कूलकी छात्राएँ थीं । उन्हें कातना शुरू किये सिर्फ चार ही महीने हुए थे ।

अच्छा काम

इन लड़कियोंके कामकी जो रिपोर्ट मेरे पास है, उससे पता चलता है कि म्युनिसिपैलिटीके कुछ स्कूलोंमें कताई शुरू करानेका काम पूर्व खानदेश जिला खादी बोर्डको दिया गया था। क्या ही अच्छा हो अगर दूसरी म्युनिसिपैलिटियाँ इस उदा- हरणका अनुकरण करें और अपने यहाँके खादी बोर्डोंको, जिनसे उम्मीद की जाती है कि उनके पास इस विषयके जाननेवाले होंगे, यह काम सौंप दें। इस स्कूलमें तकली और चरखा दोनों चलते हैं। सबसे अधिक कातनेवाली लड़कीने ७१८८ गज सूत काता । ऊँचे से ऊँचा अंक २२ है । फी घंटा अधिकसे-अधिक ३७५ गज चरखेपर और १२० गज तकलीपर काता जा सका है। रिपोर्ट में कहा गया है :

चौथो श्रेणीको लड़कियोंको कातना इतना भा गया है कि उनमें से १५ ने [ तकलीके सिवा ] चरखेपर भी कातना सीखा है और फुरसतके समय वे उस- पर कातती हैं। उनके उदाहरणसे प्रेरित होकर तीसरी श्रेणीकी भी कुछ लड़- कियोंने चरखा चलाना सीखा है। यह प्रवृत्ति फैल रही है और अपनी खुशीसे कातनेवाली ऐसी लड़कियोंकी संख्या बढ़ रही है। कुछके लिए तो सूत कातना एक प्रकारका मन बहलाव या खेल हो गया है, क्योंकि वे छुट्टी के दिनोंमें भी कातने आया करती हैं । १२ लड़कियाँ अपनी पूनियाँ आप ही बना लेती हैं और दो तो धुनाई भी सीख रही हैं।