१२१. पत्र : गॉर्डन लॉको
प्रिय मित्र,
आपका पत्र' मिला। उसके लिए आपको धन्यवाद देता हूँ। हिन्दू धर्मके सम्बन्धमें जिन पुस्तकोंको पढ़नेकी मैं सिफारिश कर सकता हूँ वे हैं सर एडविन आर्नोल्ड द्वारा किया गया 'भगवद्गीता' का अनुवाद जिसका नाम 'सांग सेलेस्टियल' है, उन्होंकी लिखी 'लाइट ऑफ एशिया', मैक्समूलर कृत 'इंडिया : व्हाट इट कैन टीच अस', तथा दत्तकी छन्दबद्ध संक्षिप्त 'रामायण' और 'महाभारत' । कुछ अन्य पुस्तकें भी हैं, लेकिन मैं समझता हूँ कि हिन्दू दर्शनका ठीक अन्दाज इनसे मिल जाता है।
क्या आप जानते हैं कि १९१५ से मैंने फोटोग्राफरोंसे फोटो बनवाना बन्द कर दिया है। मेरे पास अपनी फोटोकी एक भी प्रति नहीं है। पुस्तक व लेखन सामग्रीकी दूकानोंपर और अन्यत्र जो फोटो बिक रहे हैं, वे सब मेरी अचानक खींची गयी तस- वीरें हैं। यदि आप चाहें कि इनमें से ही एक फोटो, जिनके बारेमें मित्रोंका कहना है कि वे मेरा सही रूप प्रस्तुत नहीं करते, लेकर भेज दूं, तो मैं एक फोटो खरीद लूंगा और खुशीसे उसपर दस्तखत कर दूंगा। लेकिन लड़के यदि मेरा बाहरी स्वरूप कैसा है, इसकी अपेक्षा इसपर अधिक ध्यान दें कि मैं किस सिद्धान्तका प्रतिनिधित्व करता हूँ तो मैं उसे कहीं ज्यादा पसन्द करूंगा। लेकिन मैं उस विषयमें भी कोई व्यवस्था नहीं देना चाहता। वे स्वयं अपनी रुचिसे बातें चुनेंगे या फिर आप उनके लिए मार्ग तय करेंगे ।
आपके यहाँके लड़कोंको मेरा सन्देश इस प्रकार है: सबसे जरूरी बात यह है कि हर हालतमें सत्यका ही चिन्तन, उच्चारण, और आचरण करें। 'हर हालत' पर विशेष आग्रह रहे।
श्री गॉर्डन लॉ
बॉयेज सेक्रेटरी
यंग मैन्स क्रिश्चियन एसोसिएशन
न्यूबर्ग
न्यूयॉर्क, यू० एस० ए०
{{c|अंग्रेजी प्रति
(एस० एन० १९७५६) की फोटो-नकलसे ।
१. लों ने ५ नवम्बरको पत्र लिखते हुए यह जानकारी देनेका अनुरोध किया था कि हिन्दू-ग्रन्थों से उन्हें क्या पढ़ना चाहिए (एस० एन० २०८३६) ।
२. पत्र-लेखकने गांधीजीके एक हस्ताक्षरित फोटोके लिए आग्रह किया था।