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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पाँच सौ लड़कियोंके महाविद्यालय में एक ऊँची श्रेणीकी शिक्षिका है। दुनियामें नीति- शिक्षण किस ढंगसे दिया जाता है, यह देखनेके लिए उसके आचार्यने उसे भेजा है । उसकी माँ उस कुमारीके अभिभावकके रूपमें साथ रहती है । दोनों सारी दुनियामें निर्भ- यतासे घूम रही हैं। ऐसी निर्भयता और उस बहनके जैसी सेवानिष्ठा हममें आ जाये तो कितना अच्छा हो ?

मीराबह्नका जीवन तो सब बहनोंके लिए विचार करने योग्य बन गया है । उसके हिन्दी पत्र वहाँ आते होंगे। मेरे नाम जो पत्र आते हैं, उनसे मैं देखता हूँ कि उसने अपनी सरलता और प्रेमपूर्ण स्वभावसे गुरुकुलकी बालाओंके मन हर लिये हैं । वह लड़- कियोंमें खूब घुलमिल गई है और उन्हें पींजना- कातना अच्छी तरह सिखा रही है। अपना एक पल भी व्यर्थं नहीं जाने देती । इस निष्ठा, इस त्याग और इस पवि- त्रताकी आशा में तुम बह्नोंसे रखता हूँ । तुम कुशल बनकर और पवित्र जीवन बिताकर सारे भारतवर्षमें फैल जाओ, क्या यह आशा तुम्हारी शक्तिसे ज्यादा है ? में प्रतिक्षण स्त्री-सेविकाओंकी जरूरत महसूस कर रहा हूँ । त्यागी पुरुष देखनेमें आते हैं। लेकिन त्यागी स्त्रियाँ बाहर आकर काम करती दिखाई नहीं देतीं । स्त्री तो त्यागकी मूर्ति है । मगर इस समय उसका त्याग कुटुम्बमें समा जाता है । जो त्याग वह कुटुम्बकी खातिर करती है, उससे भी ज्यादा वह देशके लिए क्यों न करे ? अन्तमें तो जो धर्मपरायण बनेगी, वह विश्वके लिए अवश्य त्याग करेगी। मगर [ विश्वकी सेवामें ] देश पहली सीढ़ी है। और जब देशहित विश्वहितका विरोधी न हो, तब देशहित सेवा हमें मोक्षकी तरफ ले जानेवाली बन सकती है ।

यह विचार सब बहनें करने लगें, यही इस सप्ताहकी माँग है ।

चूंकि वहाँ मणिबहन' नहीं होगी, इसलिए यह पत्र तारा बहनको भेज रहा हूँ । मगर मैं चाहता हूँ कि तुम अपनेमें से एक प्रमुख मुकर्रर कर लो ।

बापूके आशीर्वाद
 

गुजराती पत्र ( जी० एन० ३६३२) की फोटो नकलसे ।

१. वल्लभभाई पटेलकी पुत्री।

२. रमणीकलाल मोदीकी पत्नी ।