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टिप्पणी

प्रकारका विधेयक है कि उसके लागू हो जानेपर एक भी स्वाभिमानी हिन्दुस्तानीका दक्षिण आफ्रिकामें रहना असम्भव हो जायेगा । दक्षिण आफ्रिकामें हिन्दुस्तानियोंकी कानूनी स्थितिका जिन्हें पता नहीं है उन्हें मालूम होना चाहिए कि दक्षिण आफ्रिकामें कहीं भी उन्हें लगभग कोई राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं है। वे ऑरेंजिया प्रान्तमें घरेलू नौकरके सिवाय किसी और हैसियतसे नहीं रह सकते। कई जगहोंमें उन्हें जमीनकी मालिकी नहीं मिल सकती । सारे दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके व्यापारिक अधिकार बहुत कम कर दिये गये हैं। व्यापारिक अधिकारोंसे सम्बन्धित मौजूदा कानूनको भारतीयोंके विरुद्ध दिनोंदिन कड़ाईसे लागू किया जा रहा है। भारतीयोंके विरुद्ध भी जिनके पास बहुत लम्बे अरसेसे व्यापारके लाइसेंस हैं। उनके विरुद्ध खड़ी की गई सामाजिक बाधाओं और उनके कारण यात्राकी स्वतन्त्रतामें पड़ने- वाली कठिनाइयों आदिका तो मैं जिक्र ही नहीं करता । उनको अपने बच्चोंकी शिक्षा- की बरायनाम भी कोई सहूलियत प्राप्त नहीं है। अभी जैसी स्थिति है वही काफी बुरी है। अगर एशियाई विधेयक पास हो गया तो उससे रही-सही कसर भी पूरी हो जायेगी। भारतीय प्रवासियोंको न्यूनतम न्याय दिलाने और स्थितिको बर्दाश्त लायक बनानेके लिए बड़ी कठिनाइयोंके बाद यह सम्मेलन कराया जा सका है। और एन्ड्रयूज इसी प्रयत्नकी सफलताके लिए १९ तारीखको भगवान्‌से प्रार्थना करनेको कहते हैं । जिन लोगोंको विश्वास हो, वे नम्र भावसे इसमें अपना हार्दिक सहयोग दें।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, १६-१२-१९२६

१५१. टिप्पणी

समृद्ध भारत

विदेश व्यापार-मन्त्री श्री ए० एम० सैमुअल द्वारा लिकन चेम्बर ऑफ कामर्सके सम्मुख दिये गये भाषणकी रिपोर्ट इस प्रकार है:

भारत हमारा सबसे बड़ा ग्राहक है। वह हर साल हमसे ९,००,००,००० पौंडका माल, अधिकांशमें बढ़िया किस्मका ऐसा तैयार माल, खरीदता है जिसमें अंग्रेजोंकी काफी मेहनत लगी होती है। इसलिए भारतके साथ व्यापारकी किसी भी प्रकारकी वृद्धि अभिनन्दनीय होगी, क्योंकि अधिक लोगोंको रोजगार देकर हम वर्तमान सरकारकी मुख्य नीतिका पालन कर रहे होंगे। वह नीति है बेरोजगारोंकी संख्या घटाना ।

भारत हमसे काफी तादाद में लोहे और इस्पातकी चीजें, तथा रेलवेका सामान खरीदता है। वह समृद्ध देश है और उसके पास दूसरे देशोंका माल खरीदनेके लिए काफी रकम है। वह तो इतना ही चाहता है कि दरें अनुकूल हों। उसकी साख बहुत ऊँची है; बाजारमें केवल इंग्लैंडकी साख