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पत्र : शिवाभाई पटेलको

सामान्य सुखी जीवन बितानेकी हमारी क्षमता भी जाती रहेगी। शाही कृषि आयोग जैसे आयोगोंके उद्देश्यके सम्बन्धमें जो सन्देह उत्पन्न होते हैं और जिसकी चर्चा इन पृष्ठोंमें हालमें ही की गई थी, वे ऐसे ही भाषणोंसे उत्पन्न होते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, १६-१२-१९२६

१५२. खादी प्रतिष्ठान

पिछले सप्ताह मैंने पंजाबमें खादीकी प्रगतिपर एक विस्तृत रिपोर्टका सारांश छापा था। इस बार खादी प्रतिष्ठानकी वैसी ही रिपोर्ट नीचे देता हूँ । इसमें 'बैलेंस शीट' छोड़ दी है, क्योंकि पाठकोंकी जिनमें दिलचस्पी हो सकती है प्रायः ऐसी सभी बातें रिपोर्टमें ही आ गई हैं। जो विवरण प्रकाशित किये जाते हैं, खादी कार्यकर्ता इन्हें जरा ध्यानपूर्वक पढ़ते रहें जिससे वे भिन्न-भिन्न प्रान्तोंमें अपनाये गये कामके तरीकोंकी तुलना कर सकें। पाठक देखेंगे कि 'मैजिक लैन्टर्न 'के' जरिये खादीका प्रचार करना खादी प्रतिष्ठानकी एक विशेषता है। अब भारतके दूसरे प्रान्त भी इसे शुरू कर रहे हैं। प्रतिष्ठानकी एक और विशेषता है उसका तकनीकी विभाग । बहुत मुश्किलोंके बाद खादी प्रतिष्ठानको अपनी एक मुकम्मिल जगह मिल सकी है, जहाँ खादीकी रँगाई और घुलाईके प्रयोग बड़े पैमानेपर किये जाते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, १६-१२-१९२६

१५३. पत्र : शिवाभाई पटेलको

वर्धा
 
बृहस्पतिवार, वर्धा१६ दिसम्बर, १९२६
 


भाई शिवाभाई,

तुम्हारा पत्र मिला ।

तुम्हें घबरानेकी कोई बात नहीं है। सूक्ष्म दृष्टिसे देखनेपर मैं इसे अवश्य व्रत- भंग ही कहूँगा लेकिन उसके लिए मनुष्य बहुत कम उत्तरदायी है। जो-कुछ हुआ वह तुमने जान-बूझकर या इच्छापूर्वक तो किया नहीं है; इसलिए कोई भारी प्राय- श्चित्तकी आवश्यकता नहीं रहती। जिस दिन तुम्हें स्वप्नदोष हो उस दिन हल्की खुराक खाओ अथवा एक समयका खाना छोड़ दो। अथवा ऐसा मालूम होनेपर कि

१. देखिए “टिप्पणियाँ ", १८-११-१९२६ का उपशीर्षक 'वथा यह सन्देहातिरेक है ?’ ।

२. देखिए "पंजाबमें खादी ", ९-१२-१९२६ ।

३. पर्देपर तस्वीरें दिखानेवाला यंत्र ।

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