१५५. पत्र: सैम हिगिनबॉटमको
प्रिय मित्र,
आपका पत्र मिला । यह तो जाहिर है कि [ हृदयस्थ ] विचारोंसे जो प्रभाव उत्पन्न होता है वह शायद बोले गये शब्दोंसे भी अधिक शक्तिशाली होता है। आपने मेरे बारेमें जितना अधिक सोचा है, उसके लिए मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ। किन्तु मैंने भी आपके बारेमें कम नहीं सोचा है और मैंने कितने ही लोगोंसे आपके तथा आपके कार्यों के बारेमें चर्चा की है।
मैं नहीं समझता कि निकट भविष्यमें मेरे इलाहाबादसे होकर गुजरनेका कोई
मौका निकलनेकी सम्भावना है। मेरे सामने एक लम्बे दौरेका कार्यक्रम पड़ा है। फिर
भी फरवरीके अन्तमें मेरे आश्रममें रहनेकी सम्भावना है। उस समय यदि आप वहाँ
पहुँचकर एक-दो दिन गुजार सकें, तो हम शान्तिसे कुछ समय साथ-साथ बिता सकते
हैं। तब आप आश्रमकी गतिविधियोंको देख सकेंगे और हम जो कृषिकार्य कर रहे
हैं, उसमें आपकी मूल्यवान् सलाहका लाभ भी हमें मिल सकेगा ।
श्री सैम हिगिनबॉटम
इलाहाबाद कृषि संस्थान
इलाहाबाद
अंग्रेजी पत्र (जी० एन० ८९३५) की फोटो-नकलसे ।