पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 32.pdf/४६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१५६. सन्देश : वर्धाकी सार्वजनिक सभाको'

१९ दिसम्बर, १९२६
 

मुझे खुशी है कि आप लोग उस सज्जन पुरुष, एन्ड्रयूजकी अपीलपर एक प्रार्थना सभा कर रहे हैं। दक्षिण आफ्रिकामें जो समस्या है वह है अस्पृश्यता निवारण की समस्या । दक्षिण आफ्रिकामे अब जो परिषद् बुलाई जा रही है, उसके कार्योंका केवल भारतीयोंपर ही नहीं, बल्कि सभी एशियाइयों, नीग्रो तथा अन्य लोगोंपर भी दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। हमें ईश्वरसे प्रार्थना करनी चाहिए कि वह परिषद्के सदस्यों में विवेक-बुद्धि जाग्रत करे और वहाँ न्याय किया जा सके ।

[ अंग्रेजीसे ]

बॉम्बे क्रॉनिकल, २२-१२-१९२६

१५७. पत्र : मीराबहनको
 
१९ दिसम्बर, १९२६
 

चि० मीरा,

तुम्हारे सुखदाई पत्र बराबर मिलते रहे हैं। अभी तो मैं लम्बा खत लिखने की हिम्मत नहीं कर सकता। जब रोलाँको पत्र लिखूंगा, तो वह तुम्हारी मार्फत ही जायेगा। मगर क्या तुम लिखना जरूरी मानती हो ? मुझे खुशी है कि तुम श्रीमती गडोदियाके सम्पर्कमें आ चुकी हो। तुम्हें काफी घूमना चाहिए ।

सस्नेह,

तुम्हारा ,
 
बापू
 

चि० मीराबाई,

कन्या गुरुकुल, दरियागंज

दिल्ली

अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ५१९२) से ।

सौजन्य : मीराबहन


१. इस सभाको अध्यक्षता गंगाधरराव देशपाण्डेने की थी और यह सन्देश महादेव देसाईंने पढ़ा था।