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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

[पुनश्च : ]

न तुमारे, न राजकिशोरीको, न लड़कोंको बीमार होना चाहिए । खबरदार । २१को वर्धा छोड़ता हूँ ।

मूल पत्र (सी० डब्ल्यू० ४९५७) से ।

सौजन्य : परशुराम मेहरोत्रा

१६०. पत्र : आश्रमकी बहनोंको

मौनवार, मार्गशीर्ष सुदी १ [१९] ८३
 
[ २० दिसम्बर, १९२६]
 

बहनो,

तुम्हारी तरफसे चि० राधाके पत्र पहुँचे हैं। पू० गंगाबहन प्रमुख चुनी गई, यह ठीक ही हुआ है। मगर प्रमुख चुननेके बाद अब तुम्हें उन्हें उस पदको शोभायमान करनेमें मदद देनी होगी, क्या इस तरफ तुम्हारा ध्यान खींचूँ ? तुमने [ अपनेमें से एक ] निरक्षर बहनको प्रमुख नियुक्त करके सद्वर्तनको, त्यागको प्रधानता दी है। यही होना चाहिए। सद्वर्तनके बिना अक्षरज्ञान बेकार है। इसके बारे में कभी शंका न करना ।

प्रमुखका अर्थ है बड़ी सेविका । राजाको हुक्म देनेका अधिकार तो तभी मिलता है, जब वह सेवा करनेकी शक्तिमें सबमें ऊँचा पहुँच गया हो। वह जो हुक्म देगा, वह अपने स्वार्थके लिए नहीं, मगर समाजके भलेके लिए होगा। आजकल तो धर्मके नामपर अधर्म हो रहा है इसलिए राजा त्यागी होनेके बजाय भोगी बन बैठे हैं, और उन भोगोंके लिए हुक्म देने लगे हैं। मगर तुमने तो गंगाबहनको धार्मिक दृष्टिसे प्रमुख बनाया है। यानी तुमने यह फैसला किया है कि तुम सब सेविका बननेका प्रयत्न करनेवाली हो और गंगाबहन मुख्य सेविका है।

याद रखना कि तुम सब बहनें भारतमातासे सूतके धागेसे बँधी हो। सुतको भूलोगी तो सेवाको भी भूलोगी। इसलिए चरखा न भूलना। राम तो आज चरखे- में ही बसता है। चारों ओर भुखमरीका दावानल सुलग रहा है। उसमें मुझे तो चरखेके सिवा और कोई आधार दिखाई नहीं देता। भगवान किसी मूर्तरूपमें ही हमें दिखाई देता है। इसीलिए द्रौपदीके बारेमें हम गाते हैं, 'वसनरूप भये श्याम' । जिसे देखना हो, वह आज उसे चरखेके रूपमें देख ले।

मैं अपनी हद लाँघ गया हूँ। मुझे दो पन्नोंसे आगे नहीं लिखना था। ज्यादा लोभ करूँ तो चल नहीं सकता।

मीराबहनके तमाम पत्र में चि० मगनलालको भेजा करता हूँ। मैं चाहता हूँ कि उन्हें तुम सब बहनें ध्यानसे सुनो, समझो और विचार करो। मेरी नजरमें इस समय हमारे पास वह एक आदर्श कुमारी है।

तुम्हें हाशियावाले अच्छे कागजपर लिखनेको कहकर राधाने मुझपर खासा बोझ डाल दिया है। जहाँतक उठेगा, उठाऊँगा।