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१६३. पत्र: रामेश्वरदास पोद्दारको

ट्रेनमें
 
मंगलवार [२१ दिसम्बर, १९२६ ]
 

भाई रामेश्वरजी,

आपका पत्र मीला । रु०५० भी मीले हैं। वर्धा नहि आनेमें कोई अपराध नहि हुआ है। यदि हुआ है तो आपने पैसे भेजकर प्रायश्चित्त कर लीया है। पैसे अमृत- लालजीको भेज रहा हुं । आप रामनाम लो ।

आपका,
 
मोहनदास
 

मूल पत्र (जी० एन० १८७) की फोटो-नकलसे ।

{{c|१६४. पत्र : मणिबहन पटेलको}

गोंदिया
 
[२१ दिसम्बर, १९२६]
 

चि० मणि,


मेरे प्रति तुम्हारे स्नेहभावको में जानता हूँ लेकिन कोई सारी उम्र मेरे साथ थोड़े ही रहा जा सकता है? मेरे कामके साथ रहा जा सकता है। इसलिए तुम्हें उसके लिए तैयार हो जाना चाहिए। वहाँ एक भी मिनट खाली न जाने देना । मुझे लिखती रहना । यथासंभव में भी लिखूंगा ।

बापूके आशीर्वाद
 

[ गुजरातीसे ]

बापुना पत्रो : मणिबहेन पटेलने

१. ढाककी मुहरपर तारीख २२-१२-१९२६ है; इस दिन बुधवार था।

२. साधन-सूत्रमें १९२६ दिया गया है; गांधीजी २१ दिसम्बरको कुछ घंटोंके लिए गोंदिया में थे।