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पत्र : च० राजगोपालाचारीको

है कि इसमें लाखों लोगोंको कंगाली और अधोगतिसे बचा सकनेकी सामर्थ्य है। मैं इसे अपनाने की सिफारिश आपसे भी करता हूँ।

हृदयसे आपका,

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, १९-११-१९२६

९. पत्र : च० राजगोपालाचारीको

१० नवम्बर, १९२६

प्रिय सी० आर०,

आपका पत्र मिला। कुत्तोंके सवालको लेकर 'नवजीवन' को काफी मसाला मिल रहा है[१] इससे डाक टिकटोंकी बिक्री भी बढ़ गई है और यह सब भलेके लिए ही है।

छोटालाल आपके यहाँ १६ को रवाना हो रहा है। ऐसा उसका विचार तो है। वह जबतक वहाँ पहुँच नहीं जाता, उसे चैन नहीं है। वह बहुत अच्छा आदमी है; लेकिन उसका मन अशान्त रहता है। काम, काम, काम।

मैं समझता हूँ कि आपको वर्धा आना चाहिए। सफर लम्बा है, लेकिन आप किसी तरह समय निकाल सकें तो अवश्य आइए। गौहाटी न जानेका निर्णय सही निर्णय है।

कृषि-सम्बन्धी आयोगके सम्बन्धमें मेरे विचार आप जैसे ही हैं। आशा है इस विषयमें अगले सप्ताह कुछ लिख सकूंगा।

देवदास एक दिनके लिए यहाँ आया था। वह प्यारेलालकी जगह काम करने पंचगनी चला गया है। प्यारेलाल अपने किसी रिश्तेदारकी सेवा-परिचर्याकी दृष्टिसे पंजाब गया है।

आपका,
बापू

अंग्रेजी पत्र (एस० एन० १९७२८) की फोटो - नकलसे ।

  1. अभिप्राय "क्या यह जीवदया है?" लेखमालासे है।