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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कर दिया गया है। कर-सम्बन्धी सुधार के लिए जो संशोधन रखा गया है उससे तो यह कर ५० शिलिंग हो जायेगा । इस करमें वृद्धिके जो कारण दिये गये हैं वे बिलकुल बेतुके मालूम होते हैं। पाठकोंको यह जाननेके लिए कि करसे प्राप्त होने- वाले धनका उपयोग किस तरह किया जायेगा, स्वयं इस पत्रको ही पढ़ना चाहिए । केनियाके भारतीयोंके लिए निश्चय ही यह आशा करनेका कारण है कि जनता और सरकार उनकी सहायता करेंगे और इस भेदभावकारी और अन्यायपूर्ण कानूनके नामंजूर किये जानेकी माँग करेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २३-१२-१९२६



१६९. खादी सेवा-संघ

कुछ समय पहले इन्हीं पृष्ठोंमें प्रकाशित खादी सेवक-संघके नियमोंके मसविदे- के बारेमें प्राप्त होनेवाली सम्मतियोंपर पूरा विचार करके अ० भा० चरखा संघकी कार्यसमितिने बहुत सावधानीसे पर्याप्त वाद-विवाद के बाद फिरसे जो नियमावली तैयार की है, वह इन्हीं पृष्ठोंमें अन्यत्र प्रकाशित है। अर्जी और नौकरीके अनुबन्ध फॉर्मके नमूने भी दिये गये हैं। इस सेवा संघ के द्वारा उन लोगोंको सेवा करनेका अवसर मिलता है जो खादीके जरिये सेवा करना चाहते हैं। साथ ही इसके जरिये उनकी अपनी जीविकाके लिए भी थोड़े वेतनका प्रबन्ध हो जाता है।

शिक्षा मण्डल ही इसका परीक्षक मण्डल भी होगा। इसका यह अर्थ नहीं है कि सभी परीक्षक अनिवार्य रूपसे हर एक परीक्षार्थीकी परीक्षा करेंगे । शिक्षा मण्डलके अध्यक्ष द्वारा चुने हुए, एक या एकसे अधिक परीक्षकगण नियमोंके अनुसार विभिन्न आवश्यक परीक्षाएँ लेंगे ।

ऐसी सम्मतियाँ आई थीं कि जो पारिश्रमिक निश्चित किया गया है उसे देखते हुए शिक्षाको अवधि तीन सालकी बैठेगी। मगर सभी सदस्य इसी निष्कर्षपर आये कि जितने विषय पढ़ने हैं और व्यावहारिक काम करके सीखने हैं, उनके खयालसे तीन सालकी शिक्षा कुछ बहुत अधिक नहीं होगी। गत पाँच वर्षोंके अनुभवसे पता चलता है कि इस पाठ्यक्रम में शामिल विभिन्न हुनरोंको सीखनेके लिए निरन्तर अभ्यास आवश्यक है। जो लोग कम ज्ञान और अनुभव लेकर गांवोंमें खादी-कार्यका संगठन करने गये हैं, उन्हें कठिनाई पड़ी है। हाथ-कताईके शास्त्र में बराबर उन्नति होनेकी गुंजाइश है। समय-समयपर जो अनुसंधान कार्य होता रहा है, उससे मालूम होता है कि हममें से अच्छेसे-अच्छे लोगोंको भी इस हुनरकी उन्नतिमें योग देनेकी पूरी गुंजाइश है, ताकि बिना अतिरिक्त मेहनत या समयके खर्चके उन करोड़ों गरीब लोगोंकी आमदनी दुगुनी हो जाये जिनके लिए हाथ-कताईका प्रचार किया जाता है।

यह दुर्भाग्यकी बात है कि हमारे स्कूलों और कालेजोंमें हाथसे काम करनेके हुनरका कोई स्थान नहीं है। इसलिए खादी सेवाके लिए आवश्यक शिक्षाकी दृष्टिसे