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खादी सेवा संघ

स्कूलों और कालेजोंकी शिक्षा बहुत उपयोगी नहीं है। इसलिए कोई स्नातक और कोई अनपढ़ युवक करीब-करीब एक ही स्तरपर प्रशिक्षण लेना आरम्भ करते हैं। बल्कि स्नातक युवकको यदि शारीरिक श्रमसे अरुचि हो गई हो, जैसा कि कई लोगोंको हो जाती है, तब तो प्रारम्भमें उसका स्तर कुछ और पिछड़ा हुआ होता है।

दूसरा सवाल जिसपर बहुत सावधानीसे विचार करना पड़ा, वेतनका था । खादी सेवा-संघ गरीबोंकी जरूरत पूरी करनेके लिए खोला गया है। इसलिए इसकी सेवा- के बदले अधिक या अच्छी आमदनीकी उम्मीद दिलाना असम्भव है। मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं कि भारत सरकारने अपने नौकरोंका जो वेतन-क्रम निश्चित कर रखा है, वह भारतके जन-समूहकी हालत देखते हुए बहुत अधिक है। यह वेतन-क्रम तो एक समृद्ध टापू (इंग्लैंड) के लोगोंकी जरूरतोंके अनुरूप है; और इसलिए उससे हमारे करोड़ों गरीबोंके ऊपर प्रायः असह्य बोझ पड़ता है। अतः सरकारी नौकरीके, और खादी सेवा- संघके वेतनोंमें कोई तुलना न की जाये। मैं साथ ही साथ यह भी कहनेका साहस करता हूँ कि इसमें नौकरीके शुरूमें जो वेतन है वह सरकारके वेतन-जैसा ही अच्छा है। खादी-सेवा अगर कम बैठती है तो सरकारी नौकरीके अन्तिम लाभोंकी तुलना में कम बैठती है। सरकारी नौकरीमें कई हजार रुपये तकका वेतन मिल सकता है, किन्तु खादी-सेवामें तो अधिकसे-अधिक २० रु० की ही बढ़ती सम्भव है। इसलिए जिन्होंने अंग्रेजी शिक्षा पाई है, उनके लिए इस सेवा संघ में प्रवेश करना सचमुच ही आत्म-त्याग है। मगर क्या देशके अंग्रेजी पढ़े युवकोंसे इतने छोटेसे त्यागकी आशा रखना बहुत अधिक है ? मैं इस त्यागको बहुत छोटा समझता हूँ; क्योंकि हमें याद रखना चाहिए कि उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा जनताके ही खर्चपर पाई है। यह ऐसी शिक्षा है जिसे केवल कुछ लोग ही पाते हैं और सर्वसाधारण इसे कभी पा ही नहीं सकते। फिर यह शिक्षा ऐसी है, जिसने हमें अगर कुछ थोड़ेसे आत्मत्यागी देशभक्त दिये हैं, तो साथ ही बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी दिये हैं, जो इस देशको गुलामीमें रखनेके लिए सरकारको स्वेच्छासे सहायता देते रहे हैं।

यह बात भी ध्यान देनेकी है कि योग्य और गरीब व्यक्तियोंके लिए इस सेवामें प्रशिक्षण-कालके अन्तमें समुचित शिक्षा-वृत्ति या वजीफा दिया जाता है, और साथ ही जहाँ समुचित योग्यतावाले लोगोंको दस वर्षातक नौकरीमें रखनेके लिए संघ बाध्य है, वहीं उन लोगोंको संघकी सेवा करने अथवा अन्यत्र नौकरी कर लेनेकी पूरी छूट है। यह ढील जानबूझकर इसलिए दी गई है कि जिसमें नवयुवक, भले सेवा- संघमें प्रवेश न करें, आयें और कताई तथा उसके सम्बन्धकी सब बातें सीखें ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २३-१२-१९२६