१७२. भेंट: समाचारपत्रके प्रतिनिधिसे
गौहाटीसे रवाना होने से पहले महात्मा गांधीसे एक भेंटमें नवीन कार्यक्रम के बारेमें प्रश्न किये जानेपर उन्होंने कहा कि अभी तो इसके बारेमें कोई बात नहीं की जा सकती क्योंकि यह कार्यक्रम कांग्रेस तय करेगी। उन्होंने कहा :
हर आदमीकी अपनी राय हो सकती है, लेकिन यह मुझे मालूम है, लोग यहाँसे खुला दिमाग और इस बातकी हार्दिक इच्छा लेकर जा रहे हैं कि कोई ऐसा व्यव- हार्य कार्यक्रम निर्धारित किया जा सके जो सब गुटोंको स्वीकार्य हो; लेकिन कार्यक्रम क्या होगा, इसकी कोई पूर्व घोषणा, मोटे तौरपर ही सही, खतरनाक होगी।
सुधारों को कार्यरूप देनेके प्रश्नपर महात्माजीने कहा :
जहाँतक मैं कह सकता हूँ जबतक बंगालको चुभनेवाला काँटा, अर्थात् राजनीतिक कैदियोंकी अनिश्चित कालतक नजरबन्दीका प्रश्न, सम्मानजनक और सन्तोषजनक ढंगसे हल नहीं हो जाता तबतक लोगोंमें स्वभावतः सुधारोंको कार्यरूप देनेके प्रति जबर्दस्त अनिच्छा रहेगी।
[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २५-१२-१९२६
१७३. तार : लाजपतरायको'
स्तब्धकारी समाचार मिला । आप दिल्ली जाकर उतिजना और रोष रोकें। तारसे विवरण भेजें।
[ अंग्रेजीसे ]
लीडर, २८-१२-१९२६
१. स्वामी श्रद्धानन्दकी हत्याका समाचार लाला लाजपतरायको २३ दिसम्बरको कलकत्तामें प्राप्त हुआ था और अगले दिन उन्होंने यह सूचना गांधीजीको प्रेषित की जो उस समय अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटोको बैठकमें भाग लेने के लिए गौहाटीके रास्ते में थे। गांधीजीको लालाजीका तार सोरभोग नामक एक छोटे स्टेशनपर मिला। गांधीजीने इसपर लाला लाजपतरायको उक्त तार भेजा, और लालाजी श्री मु० रा० जयकरके साथ उसी रात कलकत्तासे दिल्ली के लिए रवाना हो गये।