पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 32.pdf/४७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१७६. भाषण : स्वदेशी प्रदर्शनी, गौहाटीमें '

२५ दिसम्बर, १९२६
 

महात्माजीने कहा कि मुझे चरखेमें उत्कट विश्वास है और यह मेरा विश्वास दिनोंदिन बढ़ रहा है। इसलिए मैं चरखा आन्दोलनको संगठित और व्यापक करनेके हर अवसरका स्वागत करता हूँ। स्वराज्यके लिए मैंने तीन शर्तें रखी हैं, जिनमें चरखेके प्रसारको मैं सबसे महत्त्वपूर्ण मानता हूँ। यही एक धन्धा है जिसमें करोड़ों लोग मिलकर काम कर सकते हैं, जिसमें बच्चे, बूढ़े, औरत, मर्द, सभी अपना योगदान कर सकते हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि यह एक ऐसा मंच है जो औरतोंको स्वराज्यके लिए चलनेवाले राष्ट्रीय आन्दोलन में अपना समुचित स्थान प्राप्त करनेका सर्वोत्तम अवसर प्रदान करता है। मुझे विश्वास है कि चरखा-कार्यक्रमकी सफलता (स्वराज्य-प्राप्तिकी) दूसरी शर्त, अर्थात् हिन्दू-मुसलमान एकताकी शर्तको पूरा करनेमें भी काफी मदद देगी ।

म मुद्रा समस्याका अध्ययन कर रहा हूँ ताकि विनिमयके अनुपातको लेकर जो विवाद चल रहा है उसके बारेमें अपनी राय कायम कर सकूँ। लेकिन जो-कुछ मैंने पढ़ा है उससे मुझे लगता है कि वास्तवमें शहर गाँवोंको चूसकर जिन्दा हैं, और बिचौलिए किसानोंको और देशको निचोड़ कर करोड़ों रुपये देशके बाहर भेज रहे हैं। मैं सरकारी कलक्टरोंकी रिपोर्टोंके आधारपर कहता हूँ कि गाँव बर्बाद हुए जा रहे हैं, और भारतकी आबादीके दसवें हिस्सेको पर्याप्त भोजन नहीं मिलता। सौ बरसोंसे शहर-निवासी गाँववालोंका खून चूस रहे हैं। तब फिर वे बदलेमें खद्दरको अपनाकर गाँववालोंको कुछ प्रतिदान क्यों नहीं देते और इस प्रकार क्यों नहीं वे एक ऐसे आन्दोलनको प्रोत्साहित करते जिसमें देशका उत्थान करनेकी जबर्दस्त शक्ति भरी हुई है ? कांग्रेस एक महान संस्था है, लेकिन अभी वह गाँववासियोंतक पूरी तरह नहीं पहुँच पाई है।

कांग्रेस के अधीन संगठित होनेवाले चरखा संघको कांग्रेसने पूरा स्वराज्य दे दिया है, और इतने ही समय में संघने १,५०० गाँवोंसे सम्पर्क स्थापित कर लिया है। संघ ५०,००० स्त्रियों और ४,००० बुनकरोंको काम मुहय्या करता है। जो लोग तीर्थ स्थानों में गये हैं वे वहाँकी भिखारियोंकी समस्यासे परिचित होंगे। जो लोग काम कर सकते हैं और जिन्हें यदि समुचित रोजगार देना सम्भव हो जाये तो ऐसे लोगोंको

१. गांधीजीने प्रदर्शनीका उद्घाटन करते हुए यह भाषण दिया। इस अवसरपर श्रीनिवास आयंगार, पंडित मदनमोहन मालवीय, सरोजिनी नायडू, डा० मुंजे, मोतीलाल नेहरू तथा अबुल कलाम आजाद आदि अनेक नेता उपस्थित थे।