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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ही गुण नहीं है । यह उनका विशेष गौरव जरूर हो सकती है। लेकिन हमारी स्वराज्यकी लड़ाईमें ब्राह्मणोंमें, वैश्योंमें और शूद्रोंमें भी वीरता उतनी ही जरूरी है जितनी कि क्षत्रियोंमें। इसलिए हमें शोकके आँसू नहीं बहाने चाहिए। आइए, हम भी उसी आग और विश्वासको अपने अन्दर पैदा करें जो स्वामी श्रद्धानन्दजीमें थी, और उस आगसे अपने दिलोंको साफ करके उसे फौलादकी तरह मजबूत बनायें ।

[ अंग्रेजीसे ]

रिपोर्ट ऑफ द इंडियन नेशनल कांग्रेस, फॉर्टी-फर्स्ट सेशन, गौहाटी (असम), १९२६, पृ० ४२-५

१८०. प्रस्ताव और भाषण : कांग्रेस अधिवेशन, गौहाटीमें

२६ दिसम्बर, १९२६
 

प्रस्ताव


दक्षिण आफ्रिका उपमहाद्वीपके भारतीय प्रवासियोंके दर्जेकी समस्या हल करनेके सर्वोच्च उपायपर विचार करनेके लिए दक्षिण आफ्रिकामें इस समय जो गोलमेज सम्मेलन हो रहा है, यह कांग्रेस उसका स्वागत करती है और प्रार्थना करती है कि उसे अपने विचार विमर्शमें देवी मार्गदर्शन और ईश्वरीय कृपा प्राप्त हो ।

यह कांग्रेस उन नेक अंग्रेज सज्जन, श्री सी० एफ० एन्ड्रयूजके प्रति आभार प्रकट करती है, जिनका दक्षिण आफ्रिकामें इसके लिए उपयुक्त, शान्त वातावरण तैयार करनेमें प्रमुख योग रहा है।

यह कांग्रेस अध्यक्ष महोदयको अधिकार देती है कि वे इस प्रस्तावका पाठ तार द्वारा जनरल हर्टजोग, सर एम० हबीबुल्ला और श्री सी० एफ० एन्ड्र- यूजको भेज दें।

महात्माजीने उपस्थित जनोंके सामने हिन्दीमें भाषण किया । भाषणका सारांश निम्नलिखित है:

उन्होंने कहा, श्री सी०एफ० एन्ड्रयूजते पत्र व्यवहारके जरिये मुझे दक्षिण आफ्रिका- की स्थिति से अवगत रखा है। श्री एन्ड्रयूजने अपने पत्रोंमें इस बातपर जोर दिया है कि गोलमेज सम्मेलनको देवी मार्गदर्शन मिलनेके लिए सर्वत्र प्रार्थनाएँ की जानी चाहिए । ऐसो प्रार्थनाकी अतीव आवश्यकता है। आप जानते हैं कि भारत सरकार के पास दक्षिण आफ्रिकासे अपनी इच्छा मनवाने की कोई शक्ति नहीं है । हालके साम्राज्यीय सम्मेलनने औपनिवेशिक दर्जा प्राप्त देशोंके साम्राज्यीय सम्बन्धोंके क्षेत्र में और अधिक स्वतन्त्रता प्रदान कर दी है। इसलिए हम ईश्वरसे यही प्रार्थना कर सकते हैं कि गोलमेज

१. प्रस्तावका अनुमोदन अबुल कलाम आजादने किया और वह सर्वसम्मति से पास हो गया ।