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भाषण : कांग्रेस अधिवेशन, गौहाटीमें

मैं उनके साथ सहानुभूति रखता हूँ; किन्तु मैं कहूँगा कि आप अधीर हो रहे हैं। आपको मेरी सलाह है कि जल्दबाजी भी धीरे-धीरे ही करें ।

यदि यह प्रस्ताव वापस नहीं लिया जाता, और मत-विभाजनकी माँगपर यदि यह बहुत बड़े बहुमतसे गिर जाता है, तो उस हालतमें भी जो अत्यन्त क्रान्तिकारी कार्यक्रम मैंने दिया है वह आपके सामने बच रहता है। लेकिन आप इस धोखेमें न रहें कि में कौंसिल कार्यक्रममें आपका नेतृत्व करूंगा। आज उसके बारेमें कोई अगर- मगरकी बात भी नहीं है। किन्तु यदि किसी दिन मेरी अन्तरात्मा मुझसे कहेगी कि मुझे कौंसिलके अन्दर जाकर संघर्ष करना चाहिए तो मैं घुटने टेककर पण्डितजीसे अनुरोध करूंगा कि वह मुझे अपने साथ ले लें और मुझे अपना सचिव बना लें (हँसी) ; लेकिन अभी उसका कोई सवाल नहीं उठता। आपको ऐसा नहीं कहना या सोचना चाहिए कि ऐसा समय कभी नहीं आयेगा। मैंने कौंसिल कार्यक्रमको अपने दिमागसे बिलकुल ही नहीं निकाल दिया है। जिनकी याददाश्त अच्छी है, उन्हें स्मरण होगा कि कलकत्तेके विशेष अधिवेशनमें मैंने कहा था कि हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि हम कौंसिल कार्यक्रमपर कभी विचार ही नहीं करेंगे, लेकिन यदि में कौंसिलमें जाऊँगा या दूसरोंको कौंसिलमें भेजूंगा और लॉर्ड रीडिंग मुझसे यदि कहेंगे, "आप मेरी कौंसिलमें आइए । " तो मैं जवाब दूंगा, “आप अमुक बातें स्वीकार कर लीजिए, मैं आ जाऊँगा।" जिस प्रकार मैंने चम्पारन जाँच आयोगकी सदस्यता स्वीकार कर ली थी, उसी प्रकार में कौंसिलकी सदस्यता और कार्यकारिणी परिषद्की सदस्यता भी स्वीकार कर सकता हूँ (हँसी), लेकिन जब में कार्यकारिणीका सदस्य बनूंगा तो आप मान सकते हैं कि स्वराज्य आ गया है (हँसी), और साथ ही श्री साम्बमूर्तिकी पूर्ण स्वतन्त्रता भी आ गई है।

मैंने अपनी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता तो प्राप्त कर ली है। अब मैं चाहता हूँ कि हर भारतीय वह स्वतन्त्रता प्राप्त कर ले और इस प्रकार नतीजा पूर्ण स्वतन्त्रताके रूपमें प्रतिफलित होगा। मैं आपको बता सकता हूँ कि जब कांग्रेस ऐसी सक्रिय संस्था बन जायेगी जिसके सदस्य अपने कार्यको पूरा करनेके लिए कृतसंकल्प हों, जब भारत वास्तवमें अपना एक वचन पूरा कर लेगा, अर्थात् विदेशी कपड़ेका बहिष्कार कर देगा - जब आप विदेशी कपड़ेका लगभग पूर्ण बहिष्कार कर देंगे तो आप देखेंगे कि मैं पण्डित मोतीलाल नेहरूके पास जाऊँगा और उनसे कहूँगा, “महोदय, आप कृपापूर्वक मुझे अपनी कौंसिल-पार्टी में शामिल कर लीजिए। " लेकिन जबतक आप वास्तव में कृतसंकल्प नहीं होते, यह बहिष्कार सम्भव नहीं होगा। मैं चाहता हूँ कि आपमें से हर एक व्यक्ति इस खादी-सेवामें सम्मिलित हो जाये। मैं आपको ३० रुपये माहवार और आवश्यक प्रशिक्षण दे सकता हूँ, लेकिन मैं आपको गाँवोंमें भेजूंगा, और तब निश्चय मानिए कि विदेशी कपड़ेका पूर्ण बहिष्कार हो जायेगा । तब कौंसिल कार्य- क्रमको पूरा करने में आपके साथ मैं भी शरीक होऊँगा ।

आज हम एक अनुशासित संगठनके सदस्य नहीं हैं। आप अपने दिलपर हाथ रखकर कहिए कि क्या आप अनुशासित हैं । हम जैसा चाहिए, अध्यक्षकी आज्ञाका

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