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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उस प्रकार खुशीसे पालन नहीं करते। हमें अपने अध्यक्षको कन्धोंपर उठाकर कहना चाहिए, “हम आपको पूरा-पूरा सहयोग देंगे। "

क्या आपको मालूम है कि इस आशयके धमकी भरे पत्र मिल रहे हैं कि स्वामी श्रद्धानन्दजीकी जान चली गई है, अतः अब किसी मुसलमानको भी अपनी जान से हाथ धोना होगा। ऐसा ही एक पोस्टकार्ड आया है जो इस वक्त अध्यक्ष महोदयके हाथ में है। यह खत गुमनाम है। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है; लेकिन इस प्रकारके गुमनाम पत्रोंसे हमें इस बातका संकेत मिलता है कि देश किधर जा रहा है। जब हमारे चारों ओर वातावरण में ऐसी उत्तेजना व्याप्त हो, उस समय क्या मैं कौंसिल कार्यक्रमका भार उठानेके लिए समय निकाल सकता हूँ ? यदि हम इतने सारे लोग मिलकर वातावरणको शुद्ध बना सकें, तो आप देखेंगे कि मैं कौंसिल कार्य- क्रमकी ओर ध्यान देने लगूंगा । कृपया आप मुझे फिलहाल भूल जायें । यदि आप इस संशोधनको बिना विचार किये अस्वीकार करें, तो ऐसा आप अपनी जिम्मेदारीपर करें। इस विषयमें आप संशोधनके गुण-दोषोंके आधारपर और बिना किसी सौदेबाजी के तथा बिलकुल मुक्त मनसे विचार करें।

[ अंग्रेजीसे ]

सर्चलाइट, २-१-१९२७

१८६. भाषण : गौहाटी नगरपालिकाकी सभा में

२८ दिसम्बर, १९२६
 

महात्माजीने अपने छोटे-से भाषण में अपने सम्मानके लिए नगरपालिकाको धन्यवाद दिया और कहा कि मुझे इस बातसे बहुत खुशी हुई है कि असमके लोगोंमें अभीतक कताई और बुनाईका शौक बना हुआ है। मैं यह बात जानता हूँ कि आज भी आपके यहाँ किसी विवाह-योग्य कन्याके लिए बुनाई-कला जानना अनिवार्य है। चाहता हूँ कि गौहाटी नगरपालिका अपने अधीनस्थ प्राइमरी स्कूलोंमें कताई, बुनाई और हिन्दी- की शिक्षा लागू करके अन्य स्थानीय निकायोंके सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करे । मैं चाहता हूँ कि आप इसके लिए प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्त करें। यदि गौहाटी इस मामले में आगे आयेगा तो और अन्य स्थानों में भी उसका अनुकरण होगा।

[ अंग्रेजीसे ]

अमृतबाजार पत्रिका, ३०-१२-१९२६

१. प्रस्ताव भारी बहुमतसे अस्वीकृत हो गया ।

२. गांधीजीको नगरपालिकाकी ओरसे एक अभिनन्दनपत्र दिया गया था।