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१८७. भेंट : एसोसिएटेड प्रेसके प्रतिनिधिसे'

गौहाटी
 
२८ दिसम्बर, १९२६
 

गांधीजीने एसोसिएटेड प्रेसके प्रतिनिधिको बताया कि आनेवाले वर्षमें मेरा काम चरखेके सन्देशका और खद्दरके प्रयोगका प्रचार-प्रसार करना तथा साथ ही अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारकके लिए धन इकट्ठा करना होगा, जिसका मुख्य उद्देश्य खद्दरका प्रसार करना है।

[ अंग्रेजीसे ]

फॉरवर्ड, ३०-१२-१९२६

'१८८. अभय आश्रममें खादी-कार्य

कोमिल्लाके अभय आश्रममें १९२५-२६ में जो खादी-कार्य किया गया है उसकी नीचे लिखी रिपोर्ट, आशा है, दिलचस्पीसे पढ़ी जायेगी । मेरा पाठकोंसे अनुरोध है कि मैं जो रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा हूँ, वे उन्हें ध्यानसे पढ़ें। उनसे सिद्ध होता है कि खादी- ने उन्नति की है और वह भविष्यमें भी उन्नति करेगी। यह बात इन रिपोटर्टोको मिला कर पढ़नेसे जितनी अच्छी तरह सिद्ध होती है, उतनी किसी भी अन्य बातसे नहीं होती। इन रिपोर्टोंमें एकांगी अर्थात् एक प्रान्तका ही विवरण नहीं दिया गया है, बल्कि लगभग सभी प्रान्तोंका विवरण है। जिन प्रान्तोंका कोई काम नहीं बताया गया है या बहुत कम काम बताया गया है, उनमें अभी कार्यकर्ता नहीं हैं। 'फसल जबर्दस्त है; किन्तु मजदूर इनेगिने हैं।' अभय आश्रमकी रिपोर्टसे पता चलता है कि खादीके दाम कितने गिर गये हैं। उससे यह भी मालूम होता है कि कतैयों और बुन- करोंकी कुशलता बढ़ने के साथ-साथ खादीके दाम अभी और गिरेंगे। खादी उद्योगकी सबसे ज्यादा उल्लेखनीय बात यह है कि खादी आरम्भसे ही स्वावलम्बी है। इसका कारण जल्दी ही समझ में आ जायेगा । अधिकांश सदस्य अपनी इच्छासे सूत कातने- वाले हैं और सिर्फ गुजारे लायक मजदूरी लेते हैं। रिपोर्ट तैयार करनेवालोंसे मैं कहना चाहूँगा कि वे आँकड़े देते समय 'लगभग' और 'करीब-करीब '-जैसे शब्दोंका प्रयोग न करें। 'लगभग ८,००० कतैये' कहने से ठीक पता नहीं चलता। प्रत्येक केन्द्र के लिए कतैयोंकी, बुनकरोंकी और धुनियोंकी ठीक संख्या देना सम्भव होना चाहिए। ऐसे व्यापक और बड़े आन्दोलनमें जितनी ज्यादा सही बातें कहीं जायें, जितनी सावधानी बरती जाये, वह कम ही है। यह आन्दोलन तभी सफल हो सकता है जब कार्यकर्ता

१. इस भेंटके बाद गांधीजी उसी दिन तीसरे पहर कलकत्ताके लिए रवाना हो गये।

२. यहाँ नहीं दी जा रही है।