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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

में यह अपेक्षा करता हूँ कि आश्रम में रहनेवाली सारी स्त्रियाँ कोई भी कार्य बिना विचारे न करें। इसके लिए स्त्रियोंको ज्ञानी होना चाहिए। आजकल तो हिन्दु- स्तानमें स्त्री-समाज शुष्क हो गया है।

जिन लड़कियोंको अविवाहित रहना है उन्हें स्वतन्त्रताका वरण करना चाहिए। परतन्त्र रहनेवाली लड़की अविवाहित रह ही नहीं सकती।

[ कहावत है कि ]

भूत मरे तो प्रेत जागे । तात्पर्य यह कि यदि हम किसीको लूटते हैं तो हमें भी लूटनेवाला कोई दूसरा बैठा हुआ है। इसके सम्बन्धमें एक और कहावत है 'शेरको सवा शेर' । यहाँ शेर अर्थात् सिंह । सिंह अन्य पशुओंको मार कर खाता है, लेकिन उसे मारकर खा जानेवाले अन्य सिंह मौजूद हैं।

जिस तरह भोजन पकाना न आनेपर कच्चा पक्का बनाकर खाने से अजीर्ण हो जाता है, उसी तरह यदि किसीको पढ़ना नहीं आता तो वह भले कितनी ही बार क्यों न पढ़े उसे कुछ भी समझमें नहीं आता। उसे पढ़ाईका अजीर्ण होता है।

बड़े से बड़ा व्यक्ति भी यदि न करने योग्य कार्य करता है तो उसे उसका फल अवश्य मिलता है।

भक्तजन अन्तर्नादसे प्रेरित होकर काम करते हैं परन्तु कभी-कभी अन्तर्नाद भी धोखा दे सकता है, इसलिए भक्तोंको चाहिए कि वे सावधान रहें।

जो व्यक्ति आधा झूठ बोलता है, वह वस्तुत: ड्योढ़ा झूठ बोलता है। कारण वह अपनेको ही छलता है, जबकि निरा झूठ बोलनेवालेको इस बातका ज्ञान रहता है कि वह झूठ बोल रहा है।

बच्चोंकी शिक्षा मुख्य रूपसे माताओंपर होती है। मैं आश्रममें चाहे कैसी भी शिक्षा क्यों न दूं, लेकिन माताओंके सहयोगके बिना कुछ नहीं कर सकता। हमें अपने बच्चोंको परोपकारी बनाना है।

शिक्षकके पास जाते समय भी बालक माताके हृदयका एक तार अपने साथ लेकर जाता है। उसे यह धुन लगी रहती है कि कब छुट्टी हो और कब में माँके पास जाऊँ । इस तार द्वारा माता उसे खींचती रहती है।