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२२०. कांग्रेस

जब कानपुरमें असमके प्रतिनिधियों द्वारा १९२६ के कांग्रेस अधिवेशनको गौहाटीमें करनेका निमन्त्रण दिया गया था और जब कांग्रेसने उसे स्वीकार कर लिया था तब मेरे मनमें कितनी ही आशंकाएँ उठी थीं। मुझे लगा था कि कांग्रेस अधिवेशनकी दृष्टिसे असम बहुत दूर है, वहाँ संगठन भी नहीं है और प्रान्त इतना गरीब है कि अधिवेशनका खर्च बर्दाश्त नहीं कर पायेगा। गौहाटीकी आबादी सिर्फ १६००० है । ऐसी छोटी आबादीवाले किसी और शहरने कांग्रेसका अधिवेशन अपन यहाँ करनेका निमन्त्रण देनेका दुस्साहस आजतक नहीं किया था। मगर गौहाटी सबसे बाजी मार ले गया । जितने कम समय में उसने प्राकृतिक शोभाके बीच, ब्रह्मपुत्रके किनारे खादीकी नगरी बसा दी, वह अविश्वसनीय है। कांग्रेसका विशाल मण्डप भी शुद्ध असम खादीका बना था । भिन्न-भिन्न प्रान्तोंके दर्शकों और प्रतिनिधियोंकी अलग-अलग रुचियोंका ध्यान रखते हुए स्वागत-समितिको बाहरसे आदमी और सामान मँगाने पड़े थे । नेताओंके लिए बनाये गये आवास प्रतिनिधियोंके आवाससे अलग थे । जब इस प्रकारके अल- गावका मैंने विरोध किया तो मुझे बताया गया कि ऐसा जानबूझ कर नहीं किया गया है, बल्कि लाचारीसे किया गया है, क्योंकि एक ही स्थानमें इतनी जगह नहीं थी कि सभीके लिए व्यवस्था की जा सके। इन कुटीरोंकी बनावट भी अत्यन्त सरल थी. - केवल असमके बाँस, असमकी मिट्टी, असमका फूस, असमकी खादी और असमकी मेहनतसे ही ब्रह्मपुत्रके किनारे वे बहुत ही साधारण और सुन्दर कुटीर खड़े किये गये थे। एक सुन्दर कुटीरमें ले जाते हुए श्री फूकनने मुझसे कहा, 'अब तो आप बहुत खुश होंगे कि हम लोग आपको, जैसा कि आपने बेलगाँवमें कहा था, कुटियाके नामपर राजमहल न देकर, सचमुच एक कुटिया ही दे रहे हैं। मगर इसका श्रेय हम लोगोंको नहीं है, क्योंकि यह गुण तो अभावका है। रहनेके लिए हम आपको इससे अधिक अच्छा या बुरा स्थान दे ही नहीं सकते थे ।' खैर, मुझे अभावके इस गुणसे बहुत खुशी हुई। मगर पाठक यह न सोचें कि इन कलात्मक कुटियोंमें बेलगाँवके भव्य दिखनेवाले महलोंसे कुछ कम आराम था । जहाँतक मुझे स्मरण है, दूसरे प्रबन्ध भी इसी सादगी और सुन्दरतासे किये गये थे।

स्वागताध्यक्षका भाषण भी वैसा ही सादा और सुन्दर था, इसलिए स्वभावतः छोटा भी ।

सभाकी कार्यवाही ठीक घोषित समयपर ही शुरू हो गई। रीति-रस्मोंमें कोई समय नष्ट नहीं किया गया । चन्द मिनटोंमें श्री फूकनका संक्षिप्त भाषण समाप्त हो जानेपर जय-ध्वनिके बीच अध्यक्ष अपना भाषण पढ़नेको भाषण मंचकी ओर बढ़े।

१. स्वागताध्यक्ष श्री नीलमणि फूकन।

२. एस० श्रीनिवास आयंगार ।