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कांग्रेस

विरुद्ध बनाये कानूनोंसे चोरी करनेके अधिकारमें खलल पड़ता है। चोर तो धन ही चुराता है, मगर शराबी अपनी और अपने पड़ोसीकी इज्जत बेचता है। मुझे यह देखकर आश्चर्य होता है कि अध्यक्षने शराब बन्दीसे आमदनीमें होनेवाली कमीको पूरा करनेका सहज उपाय नहीं बताया है। इस देशमें सेनापर बहुत अधिक खर्च होता है, जो बिलकुल बेकार है और जिसका आधार राष्ट्रके प्रति अविश्वास है। शराब और अन्य मादक पदार्थोंसे होनेवाली आमदनी २५ करोड़ है और सैनिक व्ययमें २५ करोड़से अधिककी कमी की जा सकती है ।

इसके बाद अस्पृश्यता आती है। उनकी समझमें अस्पृश्यताको हटानेतक स्वराज्यके लिए बैठे रहनेकी जरूरत नहीं है। अपनी बातके समर्थनमें वे अमेरिकाका बहुत ही सुन्दर उदाहरण पेश करते हैं, जिसने अपने यहाँ वास्तविक और व्यापक दास प्रथाके बावजूद स्वतन्त्रता प्राप्त की थी, मगर वे साथ ही साथ यह भी कहते हैं :

स्वराज्यके सवालको अलग रखिए, वह मिले चाहे न मिले, किन्तु अस्पृश्यताका तो हमें जरूर ही अन्त करना पड़ेगा ।

इसके बाद यह ब्राह्मण दार्शनिक' कहता है:

हिन्दुओंके उच्च दर्शन तत्त्वों और अपने देशमें धार्मिक मतभेदके इति- हासको देखकर मुझे यह कहनेका साहस होता है कि हिन्दू धर्मकी अमर आत्मासे अस्पृश्यताका कोई सम्बन्ध नहीं है। चाहे दयाके तराजूपर तौलिए अथवा बुद्धि या अध्यात्मके तराजूपर; चाहे इसे देशभक्ति अथवा समानाधिकारकी दृष्टिसे देखिए, हम हिन्दू-धर्मके एक सनातन सिद्धान्तके रूपमें अस्पृश्यताका औचित्य शोभनीय ढंगसे सिद्ध नहीं कर सकते। यह हमारी दृष्टि मन्द करती है, हमारे अनुभवको सीमित करती है, हृदयको क्रूर बनाती है, हमारे दायित्वके क्षेत्रको कम करती है और न्याय, प्रेम तथा ईमानदारीके हमारे आदर्शोंके मार्गमें बाधक बनती है।

हिन्दू धर्मके ऊपर आ पड़नेवाले इस अभिशापका इस प्रकार विरोध और निन्दा करनेके लिए अध्यक्षको मैं साधुवाद देता हूँ ।

अब दूसरा विषय है, श्रम और बेकारी । मुझे ऐसा मालूम होता है कि इस विषयपर जितना विचार किया गया है उससे अधिक विचारकी जरूरत थी। मेरी समझमें उसमें काफी परिवर्तनकी जरूरत है। मेरा कहना है कि अपने समस्त फलि- तार्थोके साथ चरखा आन्दोलन करोड़ों लोगोंकी बेकारीकी सबसे पुर-असर दवा है।

सरकारकी मुद्रा-नीतिको भी उनके अभिभाषण में स्थान मिला है। अध्यक्षने भार- तीय मुद्राशास्त्र-सभाकी स्थापनाका 'हार्दिक स्वागत किया है और उनका विश्वास है। कि उसके जरिये, पौंड और रुपयेके अनुपात, स्वर्ण-मान, स्वर्णमुद्रा, और इससे सम्बन्धित दूसरे प्रश्नोंपर जनताको बहुत शिक्षा मिलेगी। मगर उनका निश्चित मत है :

१. अध्यक्ष श्री एस० श्रीनिवास आयंगार |

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