२२२. भाषण : महिलाओंकी सभा, कोमिल्लामें
इसके बाद महात्मा गांधीने महिलाओंकी एक बड़ी सभामें भाषण किया। उन्होंने कहा कि हमें स्वराज्य प्राप्त करना है, जिसका मतलब है रामराज्य। राम- राज्य बिना सीताके नहीं आ सकता। उन्होंने कहा कि सभी महिलाएँ अपनेमें सीता- जैसे गुण पैदा करें और सीताकी तरह वे भी अपने हाथसे तैयार किया हुआ कपड़ा पहनें, तथा सादा और शुद्ध जीवन व्यतीत करते हुए सीताका अनुकरण करें। अन्तमें उन्होंने कहा कि गरीबीका एकमात्र इलाज चरखा ही है।
महात्माजी द्वारा अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारकके लिए चन्देकी अपीलपर महिलाओंने कुछ धन दिया, और कतिपय महिलाओंने अपने सोनके जेवर भी दिये ।
[ अंग्रेजीसे ]
अमृतबाजार पत्रिका, ८-१-१९२७
२२३. पत्र: मणिबहन पटेलको
चि० मणि,
तुम्हारा पत्र मिला । वालजी भाईसे पढ़ने की व्यवस्था की है सो ठीक हुआ । उनसे बहुत सीखा जा सकेगा।
तुम्हें शिक्षण कार्यसे क्यों मुक्त किया गया है, यह मैं नहीं जानता। क्योंकि जिस पत्रमें यह बात कही गई थी उससे कारण मेरी समझमें नहीं आया। तुम खुद साहस- पूर्वक पूछ सकती हो। मैं तो समझता था कि तुम्हें कारण बताया गया होगा। मैं निश्चिन्त था, क्योंकि शिक्षा देनी हो या न देनी हो, तुम्हें आश्रममें ही रहना है और वेतन कहो या जो कुछ भी कहो, वह चालू ही रहेगा। तुम्हारी जिम्मेदारी मुझे उठा लेनी है। शिक्षकपर रोष भी न करना । उन्हें सारा प्रबन्ध चलाना पड़ता है, इस- लिए उन्हें जो ठीक लगता है, वैसा वे करते हैं। परन्तु कारण जाननेका तो तुम्हें हक है ही । वह जान लेना ।
१. साधन-सूत्रके अनुसार ।
२. वालजी गोविन्दजी देसाईं।