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२४१. स्वतन्त्रता

हर साल कांग्रेसमें एक प्रस्ताव पेश किया जाता है जिसका उद्देश्य कांग्रेसके ध्येयको इस प्रकार बदलनेका होता है जिसके अनुसार स्वराज्यका अर्थ पूर्ण स्वतन्त्रता माना जाये । सौभाग्यसे हर साल कांग्रेस उसे जबर्दस्त बहुमतसे नामंजूर कर देती है। इस प्रस्तावकी नामंजूरी ही कांग्रेसकी बुद्धिमानीकी निशानी है। इस प्रस्तावका पेश किया जाना कुछ ऐसे उत्साही कांग्रेसजनोंकी अधीरता प्रकट करता है जिनका ब्रिटिश सरकारके इरादोंपरसे विश्वास उठ चुका है और जो मानते हैं कि उक्त सरकार हिन्दुस्तान के साथ कभी न्याय नहीं करेगी। आजकी स्थितिमें यह अधीरता क्षम्य है। पूर्ण स्वतन्त्रताके समर्थक भूल जाते हैं कि इससे उनका मनुष्य-स्वभावमें और इसलिए अपने आपमें भी अविश्वास प्रकट होता है। वे ऐसा क्यों मानते हैं कि ब्रिटिश नेताओंके दिल बदलेंग ही नहीं ? क्या यह कहना अधिक सही और गौरवपूर्ण न होगा कि हम स्वयं कमजोर हैं, इसीलिए उनके दिल नहीं बदलते ? प्रकृति निर्बलतासे घृणा करती है। हम अंग्रेजोंसे और सारे संसारसे दयाकी भीख नहीं माँगते, न्याय माँगते हैं, जो हमारा हक है। न्याय भी मिलेगा, मगर तभी जब हम मजबूत होकर और अपना वल समझकर उसके लायक बन जायेंगे ।

मुझे निश्चय है कि पूर्ण स्वतन्त्रताका बड़ासे-बड़ा समर्थक भी यह नहीं कहना चाहता कि वह किसी भी शर्तपर अंग्रेजोंके साथ किसी भी प्रकारका सम्बन्ध नहीं रखेगा। अगर वह ऐसा कहता भी है तो उसका तात्पर्य, जैसा कि प्रस्तावके एक समर्थकने मेरे प्रश्नके उत्तरमें स्वीकार किया, यह होता है कि अंग्रेज लोग समानताके स्तरपर सम्बन्ध रखनेको राजी ही नहीं होंगे। यह बात तो अंग्रेजोंसे किसी भी शर्तपर सम्पर्क न रखनेसे बिलकुल जुदा है।

सचमुच ही स्वराज्य शब्दमें सभी कुछ शामिल है। इसमें कई अन्य चीजोंके अलावा पूर्ण स्वतन्त्रता भी शामिल है। इसे कोई एक निश्चित अर्थ देना, दृष्टि- कोणको संकुचित कर देना है, और आज सौभाग्यसे जो चीज सीमा-रहित है उसीको सीमामें बाँध देना है। स्वराज्यके अर्थको राष्ट्रकी चेतना और आकांक्षाओंके साथ ही साथ बढ़ने देना चाहिए। आज हम शायद 'औपनिवेशिक स्वराज्य' से ही सन्तुष्ट हो जायें । भविष्यकी पीढ़ियोंको सम्भवतः इससे सन्तोष न हो, सम्भव है वे इससे कुछ और बेहतर चीज चाहें । जो-कुछ आज हम पा चुके हैं, वह तथा जिसकी हम कल्पना कर सकते हैं, उससे भी बेहतर चीज, यह सभी कुछ अपरिभाषित स्वराज्यमें सम्मि लित है। स्वराज्यका अर्थ यह है कि 'औपनिवेशिक स्वराज्य' के अन्दर भी हममें अपनी स्वतन्त्रता घोषित कर सकनेकी सामर्थ्य होगी। जबतक हममें वह सामर्थ्य नहीं आ जाती तबतक मानो हमें स्वराज्य नहीं मिलता है। स्वराज्यका कमसे-कम इतना अर्थ तो जरूर है। दक्षिण आफ्रिका वह दर्जा अब प्राप्त कर चुका है। स्वराज्य