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भाषण : सार्वजनिक सभा, कटरासमें

रुपया बाहर चला जाता है जबकि देशमें अधिकांश लोग यह भी नहीं जानते कि दो जून रोटी कैसी होती है। देशमें जो थोड़ा-बहुत धन बच जाता है, वह व्यापारियों और बिचौलियोंकी तिजोरियोंमें चला जाता है। उनके भाग्यपर मुझे ईर्ष्या नहीं है, लेकिन गरीब गाँववालोंको भुला नहीं देना चाहिए। वे खुद भूखे रह रहे हैं, जबकि शहरी लोगोंको न केवल भोजन वरन् अन्य ऐश-आरामके सामान भी मुहय्या कर रहे हैं। इन्हीं लाखों भूखे लोगोंके लिए कुछ मुट्ठी भोजन जुटानेके लिए ही में आप लोगों- से चरखा अपनाने की बात कह रहा हूँ। यदि आप सब लोग अन्य सभी तरहके कपड़ों- को छोड़कर केवल खद्दर पहनेंगे, तभी जाकर गरीब, कमजोर और दुखी ग्रामीण लोग भोजन कर सकते हैं और जो सकते हैं। मैं चाहता हूँ कि आप सब पवित्र कर्त्तव्य मान- कर चरखा कातें, लेकिन यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो कमसे-कम आप खद्दर पहन सकते हैं। मुझे खुशी है कि आपने अपने अधिकार क्षेत्रमें छोटे पैमानेपर ताई- का काम शुरू करा दिया है, लेकिन अभी भी यह काम अधूरा है। जबतक आप खादी संगठनको बिलकुल दुरुस्त नहीं बनाते, आपके सभी कार्य अधूरे रहेंगे। मैं स्वयं भी तबतक सन्तुष्ट नहीं होऊंगा। खद्दरके लिए काम करना गरीबोंके लिए काम करना है। इसलिए मैं अपना सारा समय और शक्ति इसी काममें लगा रहा हूँ।" गरीबोंके, देशके तथा ईश्वरके निमित्त इस कार्यको हाथमें लेना आपका कर्त्तव्य है।

भाषण समाप्त करते हुए उन्होंने फिर एक बार उन्हें अपने हार्दिक स्वागतके लिए धन्यवाद दिया।

[ अंग्रेजीसे ]

सर्चलाइट, १६-१-१९२७

२४५. भाषण : सार्वजनिक सभा, कटरासमें

१३ जनवरी, १९२७
 

महात्माजीने कहा कि मुझे यहाँ आप सबसे मिलकर खुशी हुई है। पिछली बार जब मैं झरियामें था, तब मुझे यहाँ [ कटरास ] आनेका अवसर नहीं मिल सका था। उन्होंने कहा कि झरिया एक ऐसी जगह है जो भारतके सभी हिस्सोंसे पूँजी- पतियों और मजदूरों दोनोंको ही अपनी तरफ खींच लेती है। यहाँके निवासी प्रमुख रूपसे मजदूर हैं और इसलिए मैं उनसे कुछ शब्द कहना चाहता हूँ ।

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं अपने आपको भी एक मजदूर कहता रहा हूँ। जब कोई मुझसे मेरा धन्धा पूछता है तो मैं अपने-आपको एक बुनकर या किसान

१. सभा एक विशाल पंडालमें की गई थी। हिन्दीमें एक अभिनन्दनपत्र भेंट किये जानेके बाद गांधीजीने भाषण दिया था।