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४८. दक्षिण आफ्रिकाकी परिस्थिति

डर्बन पहुँचनेपर श्री एन्ड्रयूजने एक पत्र भेजा है। उसके कुछ अंश नीचे दिये जाते हैं:

मुझे यहाँ फिरसे आ सकनेकी खुशी है। रास्तेमें मुझे तकलीफ हुई लेकिन अच्छा हुआ कि मैं चला ही आया और अधिक रुका नहीं। प्रतिनिधि मण्डलके दक्षिण आफ्रिका पहुँचनेसे पहले यहाँ कितनी ही बहुत-सी बातें तय करना और कितनी ही चीजोंको साफ और सरल रूप दे लेना है। मेरा सारा समय इसीमें खप जायेगा।
आज मेरा, जैसा हार्दिकसे हार्दिक स्वागत हो सकता था, वैसा स्वागत हुआ। 'स्वागत समारोह' के अवसरपर शामको रावतका बाइस्कोप भवन खचा- खच भरा हुआ था। में सोराबजीके साथ १९ फर्स्ट एवेन्यूमें ठहरा हूँ। ११० फील्ड स्ट्रीटवाला पुराना मकान गिरा दिया गया है और जमीन यूरोपीयोंको बेच दी गयी है!
तमाम दिन अत्यधिक व्यस्ततामें गुजरे और आशाके विपरीत उससे बचना सम्भव ही नहीं हुआ। हिन्दुस्तानी मुहल्लोंमें चेचकका जबर्दस्त प्रकोप हुआ था। और जिसको भी चेचक निकली वे सबके सब हिन्दुस्तानी ही थे। मौतें भी बहुत अधिक हुई। हर चार रोगियोंमें एक मर गया। चेचक बड़ी ही सांघातिक किस्मकी थी। अखबारोंमें बड़े दुर्भावनापूर्ण पत्र छपा करते थे और उनमें गन्दी आदतोंके लिए हिन्दुस्तानियोंको भला-बुरा कहा जाता था। हम भी सिर्फ वही कर सकते थे जो जोहानिसबर्ग में आपने किया था। मैंने पहले आप टीका ले लिया (टीका लिये बिना मैं कुछ कर ही नहीं सकता था) और फिर स्वास्थ्याधिकारीकी अनुमति लेकर अलग रखे हुए हिन्दुस्तानी रोगियोंके पास रोज जाकर जहाँतक हो सका, उन्हें धीरज देनेकी कोशिश करता था। इसके बाद हम लोगोंने मिलकर एक हिन्दुस्तानी स्वास्थ्य सभा कायम की और डाक्टरके निर्देशके मुताबिक काम करनेका निश्चय किया। डाक्टरने काम शुरू करा भी दिया है। ज्यों ही यह बात प्रकट हुई, अखबारोंका स्वर ही बदल गया और जहाँ पहले हमें भला-बुरा कहा जाता था, अब वहाँ हमारी तारीफ होती है। खैर कुल मिलाकर इस सबका परिणाम अच्छा ही होगा।
यहाँकी स्थिति समझने और उसे काबूमें लानेके लिए अबतक मुझे काफी समय मिल चुका है, बेशक, अगर हम अगले कुछ हफ्तोंमें शीर्षस्थ लोगों के मत अपने पक्षमें कर सके तो कई अच्छे-अच्छे अखबार भी हमारे पक्षमें हो जायगे