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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

'और युद्ध नहीं' आन्दोलनका उद्देश्य उसी हदतक पूरा होगा जिस हदतक उसमें इन बातोंका ध्यान रखा जायेगा।

मैं इन स्तुत्य शर्तोंमें केवल एक कसौटीकी बात और जोड़ देना चाहता हूँ। शान्तिवादी हड़ताल केवल उन्हीं लोगों द्वारा की जाये जो उस दोषके शिकार हों जिसे दूर कराना अभीष्ट है। इस प्रकार मान लें कि टिम्बकटूके दियासलाई बनानेवाले मजदूर, जो अपनी अवस्थासे बिलकुल सन्तुष्ट हैं, वहाँके मिलोंके मजदूरोंसे, जिन्हें अधपेट रखनेवाली मजदूरी मिल रही है, सहानुभूति बतानेके लिए हड़ताल कर दें तो दिया-सलाई बनानेवाले मजदूरोंकी यह हड़ताल एक प्रकारकी हिंसा होगी। किन्तु यदि वे टिम्बकटुके मिल मालिकोंके साथ अपने मालका व्यापार बन्द कर दें तो इससे वहाँके मजदूरोंको बहुत ही पुरअसर ढंगसे सहायता पहुँचेगी और उनपर हिंसाका आरोप भी नहीं लगाया जा सकेगा। किन्तु ऐसे अवसरोंकी भी कल्पना की जा सकती है जब ऐसे मजदूरोंके लिए भी काम बन्द करना कर्त्तव्य हो जाये, जिनको कोई प्रत्यक्ष कष्ट नहीं है। ऐसे ऊपर दिये गये काल्पनिक उदाहरणमें टिम्बकटूके दियासलाईके कारखानेके मालिक मिल मालिकोंसे मिल जायें तो मिल मजदूरोंके साथ हड़तालमें सम्मिलित होना दियासलाईके कारखानेके मजदूरोंका स्पष्ट कर्त्तव्य हो जायेगा। किन्तु मैंने यह अतिरिक्त सुझाव केवल बातको स्पष्ट करनेके लिए दिया है। अन्ततः तो हर मामलेमें स्थिति देखकर ही उसके अनुसार विचार करना पड़ता है। हिंसा की शक्ति सूक्ष्म होती है। हम उसे अनुभव कर रहे हों तब भी, हिंसा हो रही है या नहीं, इसे निश्चित रूपसे जान लेना सदा सरल नहीं होता।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १८-११-१९२६

५१. टिप्पणियाँ

रामचन्द्र-कोस

'रामचन्द्र पशु-चालित कोस' के[१] बारेमें मेरे और श्री रामचन्द्रनके नाम बहुत से पत्र आये हैं। कुछ लोगोंने तुरन्त उसे भेज देने को कहा है, और कुछने उसके बारेमें कई वाजिब सवाल पूछे हैं। श्री रामचन्द्रन सारे पत्र मेरे पास छोड़ गये हैं। कोसकी बनावटको पेटेंट कराया जा चुका है। आविष्कारकके पास अभी कोस तैयार नहीं हैं, तैयार करवाने हैं। कोसके लिए जो माँगें आ चुकी हैं, उन्हें शीघ्र ही पूरा करनेका कोई साधन श्री रामचन्द्रनके पास नहीं है। मैं उसके शीघ्र उत्पादनके लिए सुविधाएँ प्राप्त करने की कोशिश कर रहा हूँ। श्री रामचन्द्रन अपने निजी कामोंको निबटानेके लिए मद्रास गये हैं ताकि लौटकर कोस बनाने और उनको ठीक-ठीक लगवानेके कामकी देखभालको अपना पूरा वक्त दे सकें। इसलिए मैं पत्र लेखकोंसे अनुरोध करूँगा कि वे

  1. यह कोस चरस या मोटका सुधरा हुआ रूप था। देखिए खण्ड ३१, पृष्ठ ५६१-६३।