५७. पत्र : सत्यानन्द सरस्वतीको
साबरमती
१९ नवम्बर, १९२६
आपका पत्र मिला। मेरा विश्वास है कि राजेन्द्रबाबू कोई नीच काम कर ही नहीं सकते। लेकिन यदि आप मुझे अपना पत्र राजेन्द्रबाबूको भेजनेकी अनुमति दें, तो मैं उनसे इस विषयमें पूछ लूंगा।
मुझे मुसलमानोंके बारेमें अपनी धारणाके लिए पश्चात्ताप नहीं है।
हृदयसे आपका,
द्वारा बी० एन० सिन्हा
समस्तीपुर
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९७४२) की फोटो - नकलसे।
५८. पत्र : देवचन्द पारेखको
[१९ नवम्बर, १९२६][१]
भाईश्री देवचन्द,
तुम्हारा पत्र मिला। डा० प्राणजीवनदासको तकलीफ देना ठीक न होगा।[२] लेकिन हम रेवाशंकरभाईको[३] ले सकते हैं। क्या तुम नानाभाई नरसिंहप्रसादको पसन्द करोगे? जमनालालजी चाहिए? अंग्रेजीकी काफी दिक्कत है नहीं तो राजगोपालाचारी को लिया जा सकता है। कृपलानीको लोगे? मेरा सुझाव यह है कि तुम किसी भी विशेष खादीप्रेमी व्यक्तिको लो। आशय यह है कि नामके बदले कामकी ओर देखो। तुम्हारा तार मिला है। ३० तारीख[४] मुझे अनुकूल पड़ती है।
बापू
गुजराती पत्र ( जी० एन० ५७०५) की फोटो - नकलसे।