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२५७. अखिल भारतीय गोरक्षा संघ

इस व्यावसायिक संस्थाको बहुत कम लोग जानते हैं। इसका जन्म प्रायः अचानक ही हो गया था और बाधाओंके बावजूद यह संस्था अपने जन्म कालसे ही गोरक्षाका बहुत ही मुश्किल सवाल, धार्मिक अर्थ-नीतिकी दृष्टिसे हल करनेकी कोशिश कर रही है। इस संस्थाकी कार्रवाई छापनेका पूरा विचार था । संघकी प्रबन्ध समितिकी एक बैठक और संघकी एक आम सभा गत ११ मार्चको आश्रममें हुई थी। मगर उसकी कार्रवाई यहाँसे मेरे जल्दी चले जाने और फिर बीमार पड़ जानेके कारण छप नहीं सकी। उस बैठकमें निम्न प्रस्ताव [१] सर्वसम्मतिसे स्वीकार किया गया था:

संघको प्रबन्ध समितिने (वर्धामें हुई) अपनी पिछली बैठकमें यह प्रस्ताव स्वीकार किया था कि अधिकसे-अधिक एक लाख रुपये, एक आदर्श डेरी और एक आदर्श चर्मालय बनाने में लगाये जायें। आज इस बैठकमें यह निश्चिय किया जाता है कि इस प्रयोगको सत्याग्रह आश्रम, साबरमतीकी प्रबन्ध समिति अपनी देखरेखमें, अ० भा० गोरक्षा संघके उद्देश्योंके अनुरूप चलाये और इस उद्देश्यको पूर्तिके लिए अधिकसे-अधिक एक लाखकी रकम अलग निकाल दी जाये और यह रकम संघके कोषसे लेकर आश्रमकी प्रबन्ध समितिको इस निर्देशके साथ सौंप दी जाये कि वह इस प्रयोगकी प्रगतिका विवरण समय-समयपर संघके सम्मुख प्रस्तुत करे।

उस बैठकमें अ० भा० गोरक्षा संघके निम्नलिखित पदाधिकारी और सदस्य चुने गये ।

सभापति, मोहनदास करमचंद गांधी, खजांची, सेठ रेवाशंकर जगजीवन झवेरी,

सदस्य, श्रीयुत बैजनाथ केडिया, श्रीयुत महावीरप्रसाद पोद्दार, सेठ जमनालाल बजाज, श्रीयुत परमेश्वरीप्रसाद गाजीपुरिया, श्रीयुत नारायणदास पौद्दार, डाक्टर बा० शि० मुंजे, श्रीयुत बालकृष्ण मार्तण्ड चौंडे, श्रीयुत शंकर श्रीकृष्ण दवे, श्रीयुत नारायण बालकृष्ण केलकर, श्रीयुत नगीनदास अमुलखराय, श्रीयुत मणिलाल वल्लभभाई कोठारी, श्रीयुत मगनलाल खुशालचन्द गांधी,

मन्त्री, वालजी गोविन्दजी देसाई ।

मुझे आशा थी कि मैं अपने दौरेमें गो-प्रेमियोंसे संघके लिए धन इकट्ठा कर सकूँगा । प्रस्तावमें तो एक लाख रुपया खर्च करने की बात कही गई है, मगर संघ के पास १५,००० रुपयेसे अधिक नहीं हैं। प्रस्ताव इसी आशाके साथ स्वीकार किया गया है कि संघको जनतासे काफी दान मिल जायेगा । अब, चूंकि मैं अगले कुछ दिनोंतक अपने निवास स्थानसे बाहर न जा सकूँगा, इसलिए मैं उन लोगोंसे, जो १. यह प्रस्ताव जमनालाल बजाजने प्रस्तुत किया था।

  1. १. यह प्रस्ताव जमनालाल बजाजने प्रस्तुत किया था।