पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 33.pdf/३०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२६०. पत्र : तारिणीप्रसाद सिन्हाको'[१]

२१ अप्रैल, १९२७

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला । यदि मुझे अवसर मिला तो मैं आपके कार्यालयका उपयोग करूँगा । यदि आप मुझसे कोई काम नहीं लेना चाहते तो मुझे अपने पत्रलेखकोंकी सूचीमें रखनेका क्या लाभ ? निजी तौरपर मुझे यह पसन्द नहीं कि दिखावे के लिए ही किसी भी कामकी कोई सूची तैयार की जाये । हम इस आदतसे जितनी जल्दी छुटकारा पा लें, उतना ही अच्छा है। यदि आपका काम ठोस और मन लगाकर किया गया है तो आपके कामसे ही यह अवश्य मालूम हो जायेगा कि आप दिखावटी आंकड़ोंका सहारा लेते हैं या नहीं। क्योंकि जैसी मुझे उम्मीद है कि इस कार्यालयका सारा बोझ आपके कन्धोंपर पड़ेगा। मैंने सोचा कि मैं आपको पत्रलेखकों या सदस्योंकी जाली सूची रखनेकी बुरी प्रथाकी नकल करनेके विरुद्ध चेतावनी दे दूं।

आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० १२४८६) की फोटो-नकलसे ।

२६१. पत्र : मीराबहनको'

{{right|नन्दी हिल्स, मैसूर
२५ अप्रैल, १९२७

दुबारा नहीं पढ़ा
चि० मीरा,

मुझे तुम्हारे चार पत्र मिले हैं। इनमें से तीन तो एक साथ ही कल मिले । १९ तारीखको बेलगाँवसे रवानगीका जो तार भेजा गया था, वह तुम्हें जरूर मिल गया होगा।

तुम्हारे एक पत्रसे कल मेरे मनमें ऐसा आया कि तुरन्त तार देकर नन्दी चली आनेको कहूँ, लेकिन मैंने अपनेको रोक लिया। दूसरे दो पत्र उतने विषादमय नहीं थे। फिर भी अगर वियोग असह्य हो उठे तो तुम्हें मेरे उत्तरकी या कहनेकी

  1. १. लन्दनसे लिखे गये २७ मार्चके पत्रके उत्तरमें। सिन्हाने लन्दनमें इंडियन इन्फोरमेशन ब्यूरोकी स्थापना की थी ।