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पत्र : आर० बी० ग्रेगको


है, यह सब बदल गया है। मैं अब वासनामुक्त होने का दावा नहीं कर सकता। मैं विनम्रतापूर्वक यह कह सकता हूँ कि यद्यपि उस वासनाका मुझे भान रहता है तो भी मैं इसे वशमें रखकर संसारके सामने ऐसे मान्य व्यक्तिके रूप में प्रस्तुत हो सकता हूँ, जिसकी वासनासे किसी महिलाको भय नहीं होना चाहिए। परन्तु अपने अन्दर स्थित इस पाशविक वासनाको अनुशासनपूर्वक दमित करने एवं वशमें रखनेके लिए मुझे सारी शक्ति लगानी पड़ती है। मुझे विश्वास है कि पूर्ण युवा व्यक्तिको वासनाएँ वशमें रखनेके लिए इतने प्रयासकी आवश्यकता नहीं पड़ती। इसके विपरीत जब वासनाएँ वशमें हों तो ऐसी स्थितिमें व्यक्ति यदि चाहे तो अपनी उन्मुक्त शक्तिको मानव-जातिके हित साधनके लिए अजेय सत्ताके रूपमें परिणत कर सकता है। किसी तरह में यह सोचता हूँ कि मैं वैसी स्वतन्त्रता एवं वैसा निजी स्वराज्य कभी नहीं प्राप्त कर सकूँगा जबतक मुझे अत्यन्त उत्तेजक एवं अस्वाभाविक भोजनके असरसे संघर्ष करना पड़ रहा है। जिस अर्थमें मैंने गिरीवाले फलोंका उपयोग किया है, वे उत्तेजक हुए बिना बढ़िया मांस पेशियाँ बनानेवाले होते हैं। अब आप समझ सकते हैं कि मैं आपके पत्रका उत्तर तत्काल क्यों दे रहा हूँ ।

बड़े दुःखकी बात है कि आपको अभी बवासीरसे छुटकारा नहीं मिला I केवल भोजन मात्रमें परिवर्तन करनेसे आपको कोई आराम नहीं होगा । औषधि केवल रोगको शान्तमात्र करनेवाली होगी। मैं छानवीन कर रहा हूँ। परन्तु इस समय मैं इसके बीच नहीं पैठना चाहता, क्योंकि मैंने अभी उसे केवल आरम्भ ही किया है। मैं अपने पास उन मित्रोंको इकट्ठा कर रहा हूँ, जिन्होंने प्रयोग किये हैं। यदि मुझे वास्तविक सफलताके कोई चिन्ह दिखाई दिये, तो मैं आपको सूचना दे दूंगा। मुझे यह सोचकर बड़ा कष्ट हुआ कि आप साधनोंके अभावमें ऑपरेशन नहीं करवा सके। डा० अन्सारी बहुत अच्छे शल्य-चिकित्सक हैं। यदि आप उन्हें नहीं जानते, तो मैं उन्हें एक छोटा-सा पत्र भेज सकता हूँ। मुझे विश्वास है कि वह खुशीसे ऑपरेशन कर देंगे और या तो आपको अपने घरमें रखेंगे या किसी ऐसी जगह रखेंगे जहाँ आपको कुछ नहीं देना पड़ेगा। आप बम्बईके डा० दलाल, जो भारतके एक अत्यन्त चतुर शल्य चिकित्सक हैं, से भी ऑपरेशन करवा सकते हैं। एक नहीं बल्कि एकसे अधिक कई अस्पताल ऐसे हैं, जो मैं मानता हूँ आपको बड़ी खुशीसे दाखिल कर लेंगे । शायद आपको पता नहीं कि डा० दलालने मेरा, देवदास, श्रीमती जमनालालजी और अन्तमें- महत्त्वकी दृष्टिसे नहीं, केवल क्रमकी दृष्टि से-एन्ड्रयूजका भी ऑपरेशन किया। आप मुझे केवल इतना बता दें कि आप कैसा इन्तजाम चाहते हैं और वही इन्तजाम कर दिया जायेगा । कृपया चरखे एवं मशीनरीके सम्बन्ध में आपने जो खोज की है, उसके बारेमें मुझे लिखनेमें संकोच मत कीजिएगा। बहरलाल आपके पाण्डित्य- पूर्ण अनुसन्धानोंमें मेरी रुचि है। वास्तवमें मुझपर लादे गये इस विश्रामसे मुझे इतना पर्याप्त समय मिल रहा है कि मैं पत्र पढ़ सकूं और उन विषयोंपर विचार कर सकूँ, जिनमें हम दोनोंकी रुचि है। बोलकर लिखवाये गये इस पत्रकी लम्बाईसे आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि मेरी हालत बहुत बुरी नहीं है, यद्यपि जहाँतक सम्भव