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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

खोजनेमें सहायता देनी चाहिए। इसका एक रास्ता तो यह है कि हम राजनीतिक परिषदका कार्य प्रसन्नतापूर्वक उन्हें सौंप दें और इसमें उनकी यथाशक्ति मदद करें।

मैं ज्यों-ज्यों ये पंक्तियाँ लिख रहा हूँ त्यों-त्यों अधिकाधिक विचार मेरे मनमें आते जा रहे हैं। किन्तु यदि में अधिक लिखने लगूं तो मेरा हाथ थक जायेगा और डाक्टर इससे मेरा रक्तचाप बढ़नेकी बात कहेगा।

अतः मैंने आज जो-कुछ लिखा है उसमें यहाँ-वहाँ जो कमियाँ रह गई हैं उन्हें स्वयं भर लें। न भर सकें तो फिर कभी मुझसे ही पूरी करा लें।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (सी० डब्ल्यू० २८६६) की नकलसे।

सौजन्य : शारदाबहन शाह

२७३. पत्र : वि० ल० फड़केको

नन्दी हिल्स, मैसूर
मंगलवार, चैत्र बदी ११ [२७ अप्रैल, १९२७][१]

भाईश्री ५ मामा,

आपका पत्र मिला। ऐसा लगता है कि अब तो गोधरा आश्रममें पर्याप्त विद्यार्थी हैं। और कहा जा सकता है कि आपने भी काम अच्छा किया है। यों आपने आंकड़ों परसे यह देखा होगा कि आश्रमके विद्यार्थियोंने ज्यादा काता है। आपने जामिया मिलियाके बारेमें रामचन्द्रकी रिपोर्ट पढ़ी ?

ऐसा कहा जा सकता है कि इन छ: वर्षोंमें उन विद्यार्थियोंने कताई बिलकुल ही नहीं की थी। विज्ञ, श्रद्धालु और लगनसे काम करनेवाले सिर्फ एक अध्यापकने वहाँके पूरे वातावरणको ही बदल दिया। मेरे पास तो ऐसे अनेक विवरण आते रहते हैं। यह सव मैं आलोचनाकी दृष्टिसे नहीं बल्कि हो सके तो आपकी श्रद्धाको दृढ़तर बनानेके विचारसे लिख रहा हूँ ।

किन्तु मैं आपको अपनी बात न सुनाकर आपकी सुनना चाहता हूँ । रामानन्दजीके काम के बारेमें आपका क्या विचार है ? पंजाब [ के काम ] का क्या हुआ ? क्या आप इस कामको निभा पाये ?

सभी ऐसा मानते हैं कि मेरी तबीयत सुधर जायेगी। यहाँके डाक्टर कहते हैं। कि मुझे, जिसे बीमारी कहा जाये ऐसा कुछ नहीं है। किन्तु उनका कहना है कि काफी दिनोंतक आराम तो लेना ही पड़ेगा। यहांकी आवहवा अच्छी है पर प्राकृतिक दृश्य चिंचपोकलीकी बराबरी नहीं कर सकता ।

  1. साधन-सूत्रमें चैत्र वदी १० है जो क्षय तिथि थी।