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टिप्पणी

सिद्धान्त रूपसे चाहे कितनी ही कल्याणकारी बताई जायें, पर यदि दिन-रात कठिन परिश्रम करनेवाले करोड़ों भारतीयोंको जीवित रखना है, तो हमें इनकी कल्याणकारी सेवाओंके बिना ही काम चलाना चाहिए। क्योंकि हमारे पास इतना पैसा ही नहीं कि हम इन अंग्रेजोंकी लाभदायक सेवाएँ ले सकें। मैं समझता हूँ कि यह सिद्ध किया जा सकता है कि यदि करोड़ों भारतीय यहाँसे हटाकर हिमालयके किसी स्वास्थ्यप्रद प्रदेशमें रख दिये जायें, तो उनकी उम्र आसानीसे दूनी हो जाये । पर यह एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसे वे गरीब लोग अपने बूतेसे बाहर बताकर हँसकर टाल देंगे । इन बहनने नई दिल्लीमें जो देखा वह तो केवल दिन-ब-दिन बढ़नेवाले उस पुराने रोगका एक छोटा-सा चिह्न है जो प्रतिदिन हजारोंके प्राण हरता है । यह कल्पना भी की जा सकती है कि यदि कोई उत्साही सदस्य सरकारके सामने इन गरीबोंके रहनेके लिए अच्छे मकान बनाने के सम्बन्धमें प्रस्ताव रखे, तो वह मंजूर हो जायेगा और सरकार उसे अपने विशेषाधिकारका प्रयोग करके अस्वीकृत न करेगी, बल्कि वह अपेक्षाकृत इन मजदूरोंसे भी ज्यादा गरीब करोड़ों लोगोंको लूटकर खुशीसे उसपर अमल करेगी। पर मैं जानता हूँ कि लेखिका बहन वास्तवमें यह नहीं चाहतीं । देशकी हालत जाननेवाले हरएक भारतीयकी तरह ही वे भी यही चाहती हैं कि इस शासन प्रणालीमें बहुत खर्चीले जो ऊँचे वर्गके कर्मचारी हैं उनका आमूल परिवर्तन किया जाये। उसके असह्य भारके नीचे इस देशके गरीब लोग दिन-ब- दिन पिसते जा रहे हैं और नीचे दबे हुए कराह रहे हैं। इस कठिन स्थितिसे निकलनेका रास्ता में कई बार बता चुका हूँ और मैं उस एक रास्तेके अतिरिक्त कोई दूसरा रास्ता नहीं जानता।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २८-४-१९२७

२८०. टिप्पणी

खादी और प्रेम महाविद्यालय

आचार्य गिडवानी प्रेम महाविद्यालय वृन्दावनमें पढ़नेवाले लड़कोंकी मनोवृत्तिमें धीरे-धीरे किन्तु निश्चित रूपसे क्रान्ति ला रहे हैं। उन्होंने एक पत्रमें लिखा है :

इस महाविद्यालयमें जो खादीका कार्य हो रहा है, उसके सम्बन्धमें मैं शेखी नहीं मारता किन्तु में बिना किसी हिचकके आपको इतना विश्वास दिला सकता हूँ कि जब आप इसे देखेंगे तो आपको निराशा नहीं होगी। मैंने आरम्भमें हलका दबाव डाला था और अब में इस स्थितिम पहुँच गया हूँ कि यहाँका हरएक अध्यापक और छात्र बिना आपत्ति किये खादी पहनता है और प्रतिदिन ४५ मिनटतक तकलीपर सूत कातता है। सब लोग बारी-बारी से रुई पींजते हैं और कुछ चुने हुए छात्रोंको कपड़ा बुनना सिखाया जाता है।