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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

किसी दिन जब आप खाली हों; मैं आपके आने की उम्मीद करूंगा और तब हम लोग केवल मेरी सेहतके बारेमें ही बात नहीं करेंगे; बल्कि कई ऐसी चीजोंके बारेमें भी बातचीत करेंगे जो बहुत ही अधिक महत्त्वकी हैं।

कृपया उन सबको मेरा प्यार दीजियेगा जो मेरे बारेमें सोचते हैं और मेरा प्यार स्वयं अपने लिए भी स्वीकार करें।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १२९४९ तथा १४११९) की फोटो-नकलसे ।

२८२ पत्र : शंकरन्को

नन्दी हिल्स
२८ अप्रैल, १९२७

प्रिय शंकरन्,

तुम्हारा पत्र मेरे लिए एक बलवर्धक वस्तु है । तुम मेरी सभी उम्मीदें पूरी कर रहे हो। मुझे खुशी है कि अब रसोई बिलकुल ठीक हालत में है। तुम्हारी हर तरहसे मदद करनेवाला दाहिना हाथ सरीखा कौन व्यक्ति है ? गिरिराज कैसा काम कर रहा है ? तुम्हारा स्वास्थ्य तो बिलकुल ठीक है न ? तुम्हारी रसोईको मन, शरीर और भावनाके स्वास्थ्यका भण्डार बन ही जाना चाहिए। उसमें सब-कुछ सराहनीय ही होना चाहिए और हर समय उसमें एक ऐसी मिठास, आराम और शान्तिका वातावरण रहना चाहिए कि जिससे उसके करीबसे गुजरनेवाला कोई भी व्यक्ति उसके उन गुणोंको भाँप सके। रसोईमें हर चीज अपनी जगहपर, हर चीज साफ, विविध मसालोंकी कोई अप्राकृतिक सुगन्ध नहीं, केवल साधारण खाद्य पदार्थोंकी प्राकृतिक सुगन्ध और काम करनेवाले लोग आपसमें मिल-जुलकर सन्तुष्ट भावसे काम करते हुए स्वयं भी व्यक्तिगत रूपसे पूर्ण स्वस्थ हों। क्या तुम यह जानते हो कि पुराने ऋषि लोग कवि, दार्शनिक, रसोइये, सफाई करनेवाले सब-कुछ एक-साथ होते थे ? नलराजा एक बुद्धिमान शासक, एक आदर्श पति और सिद्ध रसोइये थे। हर काम बुरे संसर्गों से अशोभन बन सकता है और हर काम जब बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा हाथ में लिया जाता है तो मुक्तिका सोपान बन सकता है।

तुम्हारा,

अंग्रेजी (एस० एन० १४१२०) की फोटो-नकलसे ।