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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मूल्यांकन उसके कार्योंके आधारपर किया जाये न कि उस युगके सबसे बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा दूरसे उसके जीवनका अध्ययन करके कहे गए वचनोंके आधारपर, तो मेरे सहयोगी कार्यकर्ताओंकी जीवनी ही मेरे बारेमें धारणा बनानेके लिए सर्वोत्तम कसौटी होगी। मैं क्या कहना चाहता हूँ तुम समझ गई होगी; समझ गई न ?

मुझे लगता है कि एक पत्रमें पूछे गये तुम्हारे एक सवालका जवाब देना मेैं भूल गया हूँ। तुम्हारे व्रतका अर्थ बेशक यही है कि तुम्हारा दिनका आखिरी भोजन शामके सात बजे या सूर्यास्तसे पूर्व, जैसा भी तुम्हारा व्रत हो, समाप्त हो जाना चाहिए। इसलिए तुमने ठीक ही अर्थ लगाया है। व्रतोंके बारेमें नियम यह है कि जब शंका हो, तब अपने विपक्ष में पड़नेवाला अर्थ लगाओ, अर्थात् अपने ऊपर और अधिक प्रतिबन्ध रखो ।

बापू

[पुनश्च: ]

कृपया श्रीमती स्लेडसे[१] कहिये कि उन्हें मेरे बारेमें जो ख्याल बना रहता है, उसके लिए मैं आभारी हूँ ।

बापू

अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० ५२२१) से ।

सौजन्य : मीराबहन

२८४. पत्र : मणिबहन पटेलको

शुक्रवार [ २९ अप्रैल, १९२७ ][२]

चि० मणि,

तुम्हारे पत्र मिले हैं। यदि भोजन संयुक्त भोजनालयमें किया जा सके तब तो बहुत ही अच्छा हो। इस बारेमें मैंने शंकरन्‌को पत्र[३] लिखा है। उसे पढ़ लेना । चि० चम्पाकी [४] सार-सँभालका भार तुमने लिया, यह बहुत अच्छा किया। अब तबीयत कैसी रहती है ?

बापूके आशीर्वाद

[ गुजरातीसे ]

बापुना पत्रो - ४ : मणिबहेन पटेलने

  1. मीराबद्दनकी माँ ।
  2. " पत्र : शंकरन्को”, २८-४-१९२७ ।
  3. " पत्र : शंकरन्को”, २८-४-१९२७ ।
  4. डाक्टर प्राणजीवन मेहताको पुत्रवधु ।