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पत्र: मणिबहन पटेलको


तुम्हारी दूसरी प्रगति भी अच्छी मालूम होती है। पिछले सप्ताह पहरेके बारेमें मैंने जो सवाल पूछा [१] है, उसका उत्तर टाल नहीं देना है। स्त्रियोंके लिए 'अबला', 'भीरु' वगैरा जो विशेषण काम में लाये जाते हैं, मैं चाहता हूँ तुम उन्हें गलत साबित कर दो । ये विशेषण सभी स्त्रियोंपर लागू नहीं होते। रानीपरजकी स्त्रियोंको कौन डरपोक कहेगा ? वे कहाँ अबला हैं ? पश्चिमकी स्त्रियाँ तो आजकल सब क्षेत्रोंमें हिस्सा ले रही हैं। मैं यह नहीं कहता कि वह सब अनुकरण करने लायक ही है, मगर वे पुरुषोंकी बहुत-सी धारणाओंको झूठा सिद्ध कर रही हैं। आफ्रिकाकी हब्शी स्त्रियाँ जरा भी भीरु नहीं है। उनकी भाषा में स्त्रियोंके लिए शायद ऐसा विशेषण ही नहीं है। ब्रह्मदेशके पुरुष ही भीरु और 'अबल' मालूम होते हैं। वहाँ तो स्त्रियाँ ही सारा कारोबार चलाती हैं ।

मगर मैंने यह प्रश्न तुम्हें डरानेके लिए नहीं, केवल शान्ति के साथ विचार करने के लिए पूछा है । श्रम में हम सब आत्माका अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं । आत्मा न पुरुष है, न स्त्री, न बालक है, न वृद्ध । ये सारे गुण तो शरीरके हैं, ऐसा शास्त्र और अनुभव दोनों कहते हैं। तुममें और मुझमें एक ही आत्मा निवास करती है । तब मैं तुम्हारी रक्षा भला किस तरह कर सकता हूँ ? मगर यह कला मुझे आ जानेपर हो तो मैं तुम्हें सिखा सकता हूँ ।

आज तो इतना ही विचार करना। अगर मुझे प्रेरणा हुई तो इस विचारको फिर आगे बढ़ाऊँगा ।

जिन बहनोंको मुझे लिखना हो, वे शौकसे लिखें। मैंने सुना है कि वालजीभाईने सबको डरा दिया है। डरना मत ।

बापू के आशीर्वाद

गुजराती (जी० एन० ३६४७) की फोटो-नकलसे ।

२९७. पत्र : मणिबहन पटेलको

वैशाख सुदी ३, ४ मई, १९२७

चि० मणि,

तुम्हारा पत्र मिला। गंगादेवीसे कहना कि डाक्टर जैसा कहे वैसा जरूर करें और मूंगका पानी पीना हो तो पियें । यहाँ बैठा हुआ मैं बहुत मार्गदर्शन तो कैसे कर सकता हूँ? ये नये डाक्टर कौन हैं ? और कबसे आने लगे हैं ?

पहरेमें किन-किन बहनोंने नाम लिखवाये हैं ?

मेरी तबीयत अच्छी होती जा रही है। मुझे नियमपूर्वक लिखती रहना । तबीयत कैसी रहती है ?

बापूके आशीर्वाद

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  1. देखिए “ पत्र : आश्रमकी बहनोंको” २६-४-१९२७।