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तार : घनश्यामदास बिड़लाको


करना ठीक हो सकता है तो वह, अपने धन्धेको कलंकित करनेवाले इस डाक्टरके विरुद्ध निःसन्देह लागू किया जा सकता है। परन्तु मैं आशा करता हूँ कि श्री ठक्करको पत्र लिखनेवालेकी बात अतिशयोक्ति है। किन्तु यदि उसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है तो मैं आशा करता हूँ कि वह डाक्टर स्वयं आगे आयेगा और उस समाजको सेवा करके अपनी गलतीकी भरपाई करेगा, जिसे उसने अपने अमानुषिक व्यवहारसे इस तरह अपमानित किया है।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ५-५-१९२७

३००. उत्कलके लिए खादी

तीन महीने पहले श्रीयुत शंकरलाल बैंकर और लक्ष्मीदास पुरुषोत्तमने उड़ीसाका दौरा किया। उन्होंने दरिद्रोंके उस प्रदेश में चल रहे खादी-कार्यकी जाँच की। और अब सेठ जमनालाल बजाज भी उस प्रान्तमें दौरा कर रहे हैं। लक्ष्मीदासकी टिप्पणियाँ 'नवजीवन' में प्रकाशित की गई हैं। जमनालालजीने अपने विचारोंका सार[१] निम्न- लिखित रूपमें भेजा है, जिसे मैं उत्कलके कार्यकर्ताओं और सभी खादी-प्रेमियोंके सामने अपनी सिफारिशके साथ पेश करता हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ५-५-१९२७

३०१. तार : घनश्यामदास बिड़लाको

नन्दी
५ मई, १९२७

{{left|घनश्यामदास बिड़ला
बिड़ला हाउस
गिरगाँव
बम्बई

आपकी सफलता की कामना करता हूँ। मेरे आखिरी पत्रमें शर्तें लिखी हैं। दिन-ब-दिन ताकतवर होता जा रहा हूँ । इतवारसे रक्तचाप सामान्य है। चिन्ताका कोई कारण नहीं । ईश्वर आपपर अनुग्रह रखें ।।

गांधी

अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० ७८७६) से ।

सौजन्य : घनश्यामदास बिड़ला

  1. यहाँ नहीं दिया जा रहा है। उसमें लोगोंकी अधभूखी' हालतका बयान किया गया था और उनका आर्थिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक स्तर ऊँचा उठानेके लिए हाथ-कताई तथा द्दाथ-चुनाईको सिफारिश की गई थी।